ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारत सरकार ने डॉ. कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम की अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में भारत के कार्यकारी निदेशक के रूप में सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी हैं। यह फैसला उनके तीन साल के कार्यकाल के खत्म होने से 6 महीने पहले लिया गया।
आईएमएफ की आधिकारिक वेबसाइट पर 2 मई तक डॉ. सुब्रमण्यम का नाम कार्यकारी निदेशक के रूप में मौजूद था, लेकिन 3 मई से यह पद खाली दिखाया गया है।
सुब्रमण्यन को अगस्त 2022 में आईएमएफ बोर्ड में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के पद पर नियुक्त किया गया था। इससे पहले वे 2018 से 2021 तक भारत सरकार के 17वें मुख्य आर्थिक सलाहकार थे।
कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने अपने आदेश में कृष्णमूर्ति की तत्काल प्रभाव से सेवाएं समाप्त करने की मंजूरी दी। सरकार ने इसके पीछे कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया।
कृष्णमूर्ति को हटाए जाने के संभावित कारण
आईएमएफ के डेटासेट के कलेक्शन प्रोसेस और रेटिंग सिस्टम पर डॉ. सुब्रमण्यम के उठाए गए सवालों से संगठन में उन्हें लेकर मतभेद बढ़े।
उनकी हालिया पुस्तक ‘इंडिया @ 100’ के प्रचार-प्रसार में पद के दुरुपयोग और अनियमितताओं को लेकर भी चिंताएं व्यक्त की गईं।
पाक को दिए जाने वाले फंड
पर दोबारा विचार को कहा
इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड की 9 मई को अहम बैठक से पूर्व भारत ने पाकिस्तान को दिए जाने वाले 1.3 बिलियन डॉलर के ऋणों पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि इस पर दोबारा विचार किया जाए, क्योंकि पाकिस्तान को मिलने वाला पैसा आतंक को बढ़ावा देने में इस्तेमाल हो सकता है। हालांकि आईएमएफ ने भारत के अनुरोध को मानने से इन्कार कर दिया।
भारत सरकार का सुब्रमण्यम को पद से हटाने का फैसला हैरान करने वाला है। सरकार ने अभी तक उनके स्थान पर किसी का नाम फाइनल नहीं किया है। जून के अंत में रिटायर हो रहे वित्त सचिव अजय सेठ का नाम सबसे ऊपर चल रहा है।
पाकिस्तान को चौतरफा घेरने की तैयारी में भारत
भारत ने कहा कि वह आईएमएफ समेत ग्लोबल मल्टीलेटरल एजेंसियों (वर्ल्ड बैंक और एशियन डेवलपमेंट बैंक) से पाकिस्तान को दिए गए फंड और लोन पर पुनर्विचार करने के लिए कहेगा क्योंकि भारत पहलगाम में हुए नृशंस आतंकवादी हमले के बाद पड़ोसी राज्य को कूटनीतिक रूप से घेरना चाहता है।
क्या है आईएमएफ का कार्यकारी बोर्ड
आईएमएफ एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो देशों को आर्थिक मदद देती है, सलाह देती है और उनकी अर्थव्यवस्था पर नजर रखती है। इस संस्था की ही कोर टीम कार्यकारी बोर्ड होता है। यह टीम देखती है कि किस देश को लोन देना है, किन नीतियों को लागू करना है और दुनिया की अर्थव्यवस्था पर कैसे काम करना है।
इसमें 24 सदस्य होते हैं जिन्हें कार्यकारी निदेशक कहा जाता है। हर एक सदस्य किसी देश या देश के समूह का प्रतिनिधित्व करता है। भारत का एक अलग (स्वतंत्र) प्रतिनिधि होता है। जो भारत की तरफ से आईएमएफ में बात रखता है। साथ ही यह देखता है कि आईएमएफ की नीतियां देश को नुकसान न पहुंचाएं। किसी देश को लोन देने वाला हो, तो भारत की तरफ से राय देना।