ब्लिट्ज ब्यूरो
संयुक्त राष्ट्र। भारत ने लैंगिक डिजिटल विभाजन को पाटने के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के इस्तेमाल के अपने अनुभवों को विश्व के साथ साझा करने की इच्छा व्यक्त की है। संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष नेताओं ने डिजिटल वित्तीय समावेशन को बढ़ाने की दिशा में देश द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की है। लैंगिक डिजिटल विभाजन का मतलब है पुरुषों और महिलाओं के बीच इंटरनेट और डिजिटल तकनीकों के इस्तेमाल में अंतर।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा, ‘भारत महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के साथ आगे बढ़ रहा है और एक ऐसे देश का निर्माण कर रहा है जहां महिलाएं अवधारणा से लेकर डिजाइन, कार्यान्वयन और निगरानी तक के क्षेत्रों में सक्रिय नेतृत्व कर रही हैं।’
वह महिलाओं की स्थिति पर आयोग (सीएसडब्ल्यू) के 69वें सत्र के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आई थीं। देवी ने संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन और संयुक्त राष्ट्र महिला द्वारा आयोजित मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन को संबोधित किया।
इस सम्मेलन का विषय था ‘महिला सशक्तिकरण के लिए डिजिटल और वित्तीय समावेशन’ तथा ‘महिला सशक्तिकरण के लिए वित्तपोषण – मुख्य संसाधनों की महत्ता’। लैंगिक आधारित डिजिटल विभाजन को
पाटने और एक सुदृढ़ सरकारी प्रणाली के निर्माण के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना की परिवर्तनकारी शक्ति को रेखांकित करते हुए देवी ने कहा, ‘भारत को अपने अनुभव को विश्व के साथ साझा करने में खुशी होगी।
उन्होंने महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए संसाधनों की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर प्रकाश डाला। देवी सीएसडब्ल्यू में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रही हैं, जो महिलाओं के मुद्दों पर केंद्रित दुनिया का सबसे बड़ा वार्षिक सम्मेलन है। यह वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित किया जा रहा है। महिलाओं की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र आयोग का 69वां सत्र 21 मार्च को समाप्त होगा।