ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारत के अहसानों को भूलकर पाकिस्तान का साथ देना तुर्किये को चार हजार करोड़ रुपये तक महंगा पड़ सकता है। अजरबैजान को भी पाकिस्तान की दोस्ती की कीमत तीन हजार करोड़ रुपये वार्षिक की चपत लगा सकती है। इस बीच भारत के नागरिकों ने अजरबैजान और तुर्किये की अपनी यात्राएं कैंसिल कर दी हैं। यहां तक कि व्यापारियों ने वहां से आने वाले सामान की बिक्री करने से भी मना कर दिया है।
देशभर के व्यापारियों ने तुर्किये और अजरबैजान से आयात होने वाली वस्तुओं पर पहले ही एक तरफा प्रतिबंध लगा दिया है। बहुत संभव है कि दिल्ली में व्यापारियों की एक बड़ी बैठक में तुर्किये और अजरबैजान से सभी व्यापारिक रिश्तों को तोड़ने पर निर्णय लिया जा सकता है।
देश के ट्रक ऑपरेटर संगठनों की बैठक में पाकिस्तान के दोस्त देश तुर्किये और अजरबैजान से आने वाली किसी भी वस्तु को देश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने से इनकार कर दिया है। व्यावसायिक ट्रक ऑपरेटर संगठन व्यापारियों के सुर में अपना सुर मिलाते हुए केंद्र सरकार से इन देशों से व्यापारिक रिश्ते बंद करने की मांग कर रहे हैं। व्यापारी तुर्किये व अजरबैजान एयरलाइंस पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग कर सकते हैं।
इस निर्णय से तुर्किये और अजरबैजान को हर साल तीन से चार हजार करोड़ का नुकसान हो सकता है। तुर्किये से हर साल भारत को करोड़ों रुपये का नमक और खाद्य सामग्री, रसायन, आभूषण, पशुओं के उत्पाद, खनिज तेल और परमाणु रिएक्टर के पुर्जे का आयात होता है। यदि व्यापारियों का निर्णय पूरा हुआ तो इन देशों को हर साल हजारों करोड़ रुपये का नुकसान होगा। हालांकि, इसके बदले इन देशों में भी भारत के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठ सकती है। ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि देश भर के ट्रक ऑपरेटर तुर्किये और अजरबैजान से आयातित किसी भी सामान को देश के दूसरे स्थानों पर पहुंचाने के लिए अपनी सेवा नहीं देंगे। हमने भारत सरकार से आग्रह किया है कि तुर्किये और अजरबैजान से आने वाले सामान और सेवाओं पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाया जाए। यही नहीं, जेएनयू जामिया मिलिया और इग्नू ने भी अपने सभी समझौते तुर्किये से तोड़ लिए हैं। इसके अलावा विभिन्न स्थानों पर तुर्किये की कंपनियों को जो काम दिए गए थे, वे भी उनसे छीन लिए गए हैंैं।