डा. सीमा द्विवेदी
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के प्रोबा-3 मिशन को लॉन्च करने वाला है। इसको लेकर तैयारियां जोरों- शोरों से चल रही हैं। सूर्य की बारीकी से जांच करने के उद्देश्य से लॉन्च करने वाले मिशन में दो सैटेलाइट शामिल हैं। हाल ही में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने ईएसए के प्रोबा-3 मिशन की लॉन्चिंग के बारे में जानकारी दी थी।
क्या है प्रोबा-3 मिशन?
प्रोबा-3 मिशन ईएसए की एक महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष परियोजना है। इसका मुख्य उद्देश्य सूर्य के बाहरी वातावरण, जिसे सौर कोरोना कहा जाता है, का अध्ययन करना है। इस मिशन के तहत दो सैटेलाइट 60,000 किमी की ऊंचाई पर मिलकर एकसाथ काम करेंगे।
मिशन का उद्देश्य
प्रोबा-3 मिशन का उद्देश्य दो सैटेलाइट की मदद से सूर्य के वातावरण की जांच करना है। ऐसे में एक सैटेलाइट सूर्य की रोशनी को ढकने की कोशिश करेगा तो दूसरा सूर्य के कोरोना को देखेगा और नई जानकारियां एकत्रित करेगा।
छिप जाता है कोरोना
अमूमन सूर्य की तीव्र चमक की वजह से मंद कोरोना छिप जाता है और उसके बारे में ज्यादा जानकारियां नहीं मिल पाती हैं। ऐसे में यह मिशन सूर्य की सतह के पहले से कहीं ज्यादा नजदीक से कोरोना का निरीक्षण और विश्लेषण करने में मदद करेगा जिसकी बदौलत सौर गतिविधियों के बारे में कुछ नया पता चल सकेगा।
कब लॉन्च होगा प्रोबा-3 मिशन?
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, अगर सब कुछ ठीक रहा तो ईएसए के प्रोबा-3 मिशन को दिसंबर के पहले सप्ताह में श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी रॉकेट द्वारा लॉन्च किया जाएगा।
ईएसए ने इसरो को ही क्यों चुना?
ईएसए जिस ऊंचाई पर मिशन को भेजना चाहता है उसके लिए एरियन-6 रॉकेट सक्षम है, लेकिन बहुत ज्यादा पैसा खर्च होता। ऐसे में इसरो का विकल्प चुना गया, जो किफायती होने के साथ-साथ ईएसए के सैटेलाइट को उच्च कक्षा में पहुंचाने की क्षमता रखता है।
सूर्य का वातावरण
प्रोबा-3 के दो सैटेलाइट पीएसएलवी-एक्सएल लांचर द्वारा एक साथ लॉन्च किये जाएंगे। प्रोबा-3 के दो सैटेलाइट सूर्य के आसपास के वायुमंडल का निरंतर दृश्य देख पाएंगे, जो पहले सूर्यग्रहण के दौरान केवल कुछ क्षणों के लिए ही पृथ्वी से दिखाई देता था।