डा. सीमा द्विवेदी
नई दिल्ली। एपल के आईओएस डिवाइस को दुनिया में सबसे ज्यादा सुरक्षित माना जाता है। ऐसा दावा किया जाता रहा है कि एपल डिवाइस में सेंधमारी करना बेहद मुश्किल है। यही वजह है कि एंड्रॉइड डिवाइस के मुकाबले में आईओएस डिवाइस को ज्यादा पसंद किया जाता है पर एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि आईओएस डिवाइस बेस्ड आई फोन, मैकबुक, आई पैड समेत सभी एपल डिवाइस पर फिशिंग अटैक का ज्यादा खतरा है जिसने आईओएस डिवाइस का इस्तेमाल करने वाले यूजर्स की चिंता बढ़ा दी है।
लुकआउट की रिपोर्ट का दावा
बोस्टन बेस्ड एक डेटा सेंट्रिक सिक्योरिटी कंपनी लुकआउट की रिपोर्ट के हवाले से दावा किया गया है कि एंड्रॉइड के मुकाबले में आईओएस डिवाइस वेब कंटेंट थ्रेड और फिशिंग के लिए ज्यादा खतरनाक है। साधारण शब्दों में कहें, तो साइबर अटैक सबसे ज्यादा आईओएस डिवाइस पर किए जाते हैं। इस शोध को जुलाई से अगस्त 2024 कैलेंडर ईयर के दौरान किया गया है।
क्रिडेंशियल चोरी के सबसे ज्यादा हमले
रिसर्चर ने लुकआउट थ्रेड लैब के दावे में कहा है कि पिछली तिमाही में खासतौर पर आईओएस डिवाइस पर इंटरप्राइजेज फोकस्ड क्रिडेंशियल की चोरी और फिशिंग अटैक किए गए हैं। इसमें करीब 17 फीसद का इजाफा हुआ है जबकि पिछली तिमाही के मुकाबले में मैलेशियल एप डिडक्शन में 32 फीसद की ग्रोथ दर्ज की गई है।
तिमाही के खतरों को आंकड़ा
लुकआउट रिपोर्ट के अनुसार करीब 19 एंटरप्राइज आईओएस डिवाइस 2024 में पहली तीन तिमाही में से प्रत्येक में कम से कम एक मोबाइल फिशिंग हमले के संपर्क में थे। इससे अलग 10.9 फीसद एंटरप्राइज एंड्रॉइड डिवाइस प्रत्येक में कम से कम एक मोबाइल फिशिंग हमले के संपर्क में थे। लुकआउट ने कहा कि मोबाइल खतरे की दर में तेजी से वृद्धि हो रही है क्योंकि साइबर अपराधी समूह अपनी रणनीति बदल रहे हैं और मोबाइल डिवाइस को निशाना बना रहे हैं।
कैसे करें बचाव
फिशिंग अटैक से बचने के रास्ते बेहद साधारण हैं। इसके लिए यूजर्स को किसी अनजान लिंक पर क्लिक नहीं करना चाहिए। किसी भी एप को परमिशन देने से पहले जांच कर लेना चाहिए। फोन में एंटी वायरस का इस्तेमाल करना चाहिए।