विनोद शील
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बिना लाग-लपेट के बात करने का अंदाज एक बार फिर तब देखने को मिला जब उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को फोन पर यह बात साफ कर दी कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी। फोन कॉल में स्पष्ट किया गया कि भारत ने कभी भी मध्यस्थता स्वीकार नहीं की, न स्वीकार करता है और न ही कभी स्वीकार करेगा। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर भारत में पूरी राजनीतिक सहमति है। भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए और सीजफायर द्विपक्षीय फैसला था।
यह टिप्पणी अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा बार-बार यह दोहराए जाने के बाद आई है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच दुश्मनी को खत्म करने के लिए व्यापार को एक टूल के रूप में इस्तेमाल किया था।
विदेश सचिव मिस्री ने ट्रंप से पीएम मोदी की वार्ता की जानकारी देते हुए कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बताए गए बिंदुओं को विस्तार से समझा और आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई के लिए समर्थन व्यक्त किया।
पीएम मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा कि पाकिस्तान के साथ दुश्मनी खत्म करने के लिए कोई मध्यस्थता या व्यापारिक समझौता नहीं हुआ था। मोदी ने यह फोन कॉल राष्ट्रपति ट्रंप के आग्रह पर की थी जो 35 मिनट चली। ट्रंप ने मोदी से यह भी पूछा था कि क्या जी7 बैठक के बाद वह कनाडा से लौटने पर अमेरिका आ सकते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री ने पहले से तय कार्यक्रमों का हवाला देते हुए इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।
इस फोन कॉल में पीएम मोदी ने भारत की स्थिति के बारे में डोनाल्ड ट्रंप से दोटूक बात की। डोनाल्ड ट्रंप की बुधवार 18 जून को ही पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर के साथ लंच बैठक तय थी। मुनीर के साथ बैठक से पहले पीएम मोदी की यह बातचीत अमेरिका और पाकिस्तान के लिए यह संदेश है कि भारत किसी भी स्थिति में किसी दबाव में नहीं है। वह आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपना चुका है और वह उस रुख पर कायम है। सामने डोनाल्ड ट्रंप ही क्यों न हों; भारत किसी दबाव में नहीं आएगा।
मुनीर के साथ लंच बैठक करने को लेकर भारत कहीं न कहीं डोनाल्ड ट्रंप से नाखुश है। भारत ट्रंप प्रशासन की पाकिस्तान के साथ गलबहियों को पसंद नहीं करता और न ही किसी दबाव में वह इसे स्वीकार करता है। इस संबंध में जी7 बैठक में दिया गया पीएम मोदी का भाषण भी उल्लेखनीय है जिसमें उन्होंने कहा है कि जो देश खुलेआम आतंकवाद का समर्थन करते हैं, उन पर कार्रवाई की बात भी की जाती है और आतंकी समर्थक देशों को इनाम भी देते हैं। यह दोहरी नीति नहीं चलेगी।
विदेश सचिव ने दी जानकारी
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की मुलाकात तय थी। राष्ट्रपति ट्रंप को इस्राइल-ईरान युद्ध के कारण बीच में ही अमेरिका लौटना पड़ा, जिसके कारण यह मुलाकात नहीं हो सकी। इसके बाद राष्ट्रपति ट्रंप के अनुरोध पर 18 जून को ही दोनों नेताओं ने फोन पर बात की।
अमेरिका की यात्रा को अस्वीकार करने के बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप को अगली बैठक के लिए भारत आने का निमंत्रण दिया। विदेश सचिव के अनुसार, ट्रंप भारत आने के लिए उत्साहित और उत्सुक दिखे। दोनों नेताओं ने फैसला किया कि वे भविष्य में मिलने की कोशिश करेंगे।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर पीएम ने दी जानकारी
मिस्री ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते और भारत और पाकिस्तान के बीच अमेरिका द्वारा मध्यस्थता पर किसी भी स्तर पर कोई बात नहीं हुई। सैन्य कार्रवाई रोकने पर बातचीत भारत और पाकिस्तान के बीच स्थापित मौजूदा चैनलों के माध्यम से सीधे हुई, और यह पाकिस्तान के अनुरोध पर किया गया था। विक्रम मिस्री के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ बातचीत में यह बयान भी दोहराया कि गोली का जवाब गोले से दिया जाएगा। विक्रम मिस्री ने कहा, 9 मई की रात को उपराष्ट्रपति वेंस ने प्रधानमंत्री मोदी को फोन किया। वेंस ने कहा था कि पाकिस्तान भारत पर एक बड़ा हमला कर सकता है। प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें स्पष्ट शब्दों में कहा था कि अगर ऐसा होता है, तो भारत पाकिस्तान को और भी बड़ा जवाब देगा। भारत ने 9-10 मई की रात को पाकिस्तान के हमले का बहुत कड़ा जवाब दिया और पाकिस्तान की सेना को बहुत नुकसान पहुंचाया। उसके सैन्य हवाई अड्डों को निष्क्रिय कर दिया गया।
जारी है ‘ऑपरेशन सिंदूर’
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति को बताया कि भारत अब आतंकवाद को छद्म युद्ध के रूप में नहीं देखता है और भारत का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभी भी जारी है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने वीडियो शेयर कर दोनों राष्ट्राध्यक्षों की इस बातचीत की जानकारी दी है। पीएम मोदी जी-7 समिट के लिए कनाडा गए थे। वह 15 से 19 जून 2025 तक तीन देशों (साइप्रस, कनाडा और क्रोएशिया) की महत्वपूर्ण यात्रा पर रहे।
राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी ने इजरायल-ईरान के बीच चल रहे संघर्ष पर भी चर्चा की। रूस-यूक्रेन युद्ध के संबंध में दोनों ने इस पर सहमति जताई कि जल्द से जल्द शांति के लिए, दोनों पक्षों में सीधी बातचीत आवश्यक है और इसके लिए प्रयास करते रहना चाहिए। इंडो-पेसिफिक क्षेत्र के संबंध में दोनों नेताओ ने अपने विचार साझा किए और इस क्षेत्र में क्वॉड की अहम भूमिका के प्रति समर्थन जताया। क्वॉड की अगली बैठक के लिए, प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप को भारत यात्रा का निमंत्रण दिया। राष्ट्रपति ट्रंप ने निमंत्रण स्वीकार करते हुए कहा कि वे भारत आने के लिए उत्सुक हैं।
– ट्रंप के आग्रह पर पीएम मोदी ने किया था फोन
– राष्ट्रपति ट्रंप ने क्वॉड बैठक का निमंत्रण स्वीकार किया, कहा कि भारत आने के लिए वह उत्सुक