ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वह चुनावों में निर्विरोध उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम मत प्रतिशत की जरूरत वाले कुछ ‘सक्षम’ प्रावधान लेकर आए।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 53 (2) की वैधता के खिलाफ जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जो लड़े गए और निर्विरोध चुनावों में प्रक्रिया से संबंधित है। धारा 53 (2) कहती है कि यदि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की संख्या भरी जाने वाली सीटों की संख्या के बराबर है, तो रिटर्निंग अधिकारी ऐसे सभी उम्मीदवारों को तुरंत उन सीटों को भरने के लिए निर्वाचित घोषित करेगा।
पीठ ने चुनाव आयोग के जवाब पर गौर करते हुए कहा कि ऐसे केवल नौ उदाहरण हैं जहां संसदीय चुनावों में निर्विरोध उम्मीदवारों को विजेता घोषित किया गया। याचिकाकर्ता थिंक टैंक विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी कीओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने कहा कि विधानसभा चुनावों में इस तरह के मामले अधिक देखने को मिलते हैं।
चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि पिछले 25 वर्षों में संसदीय चुनाव स्तर पर केवल एक ही ऐसा मामला है, जिसमें किसी उम्मीदवार को निर्विरोध विजेता घोषित किया गया हो।
प्रावधान रद करने पर विचार नहीं किया जा रहा
केंद्र के लिए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि यदि कोई चीज वांछनीय है, तो अदालत इसकी वांछनीयता पर विचार कर सकती है, लेकिन कानून को रद नहीं कर सकती। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने स्पष्ट किया कि न्यायालय कानून के किसी प्रावधान को रद करने पर विचार नहीं कर रहा है।