ब्लिट्ज ब्यूरो
श्योपुर। मां के लिए उसकी संतान से बढ़कर कुछ नहीं होता और उसी संतान पर अगर थोड़ी सी भी आंच आ जाए तो वही मां काली, चंडी या साक्षात दुर्गा बन जाती है। ताजा मामला श्योपुर में विजयपुर के पास उमरीकला गांव का है। यहां घर में खेल रहे बच्चे पर चीते ने घात लगाकर हमला कर दिया। चीते ने बच्चे को जबड़े में दबा लिया। यह सब होते जब मां ने देखा तो वह सब छोड़कर अपनी संतान को बचाने में लग गई। चीते से मां का संघर्ष 10 मिनट तक चला और आखिर में उसने बच्चे की जान बचा ली। बेटा सुरक्षित है हालांकि डॉक्टरों ने उसके शरीर में 120 टांके लगाए हैं।
उमरीकला गांव में 9 साल का अविनाश उर्फ निर्मल धाकड़ शाम 6:30 बजे अपने घर की बाउंड्री के पास खेल रहा था और उसकी मां मवेशियों को चारा डाल रही थी। इस दौरान चीता आया और उसने खेल रहे बच्चे पर हमला कर दिया। चीते ने बच्चे की गर्दन और चेहरे को अपने जबड़े में दबा लिया, तभी बच्चा चिल्लाया तो मां की नजर बच्चे पर पड़ी। मां दौड़ती हुई गई और चीते के जबड़े में हाथ डाल दिया। एक तरफ चीता बच्चे को खींचने में लगा था तो दूसरी ओर मां अपने बच्चे को किसी भी कीमत पर बचाने की कोशिश में जुटी थी। आखिरकार जान पर खेल कर मन अपने बच्चे को बचा लिया।
बच्चे को सुरक्षित बचाने वाली मां का नाम सुरक्षा है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार चीता बार-बार बाउंड्री पर आया लेकिन महिला को सामने खड़ी देख वापस चला गया।
वन विभाग का कहना है कि यह चीते नहीं बल्कि तेंदुए ने हमला किया था जबकि घर वालों का कहना है कि कूनो नेशनल पार्क में चीते आने के बाद करीब 10 से 15 बार चीता उनके गांव के आसपास देखा गया है और वह अच्छी तरह पहचानते हैं, क्योंकि उसकी आंखों के आसपास काली धारियां थीं।
हमले में बुरी तरह से घायल हुए मासूम निर्मल को गंभीर हालत में ग्वालियर सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसे 120 टांके आए हैं और उसकी हालत खतरे से बाहर बताई गई है।