ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। मशहूर उद्योगपति रतन टाटा का निधन हो गया है। उन्होंने 86 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे और उनका मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में इलाज चल रहा था। टाटा के निधन पर टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने समूह की तरफ से संदेश जारी किया।
चंद्रशेखरन ने पद्मविभूषण रतन टाटा के योगदान को अतुल्य बताया और कहा, ‘हम अत्यंत क्षति की भावना के साथ रतन नवल टाटा को अंतिम विदाई दे रहे हैं। एक असाधारण नेता जिनके अतुलनीय योगदान ने न केवल टाटा समूह को आकार दिया बल्कि हमारे राष्ट्र का मूल ताना-बाना भी बुना। टाटा समूह के लिए, टाटा एक चेयरपर्सन से कहीं अधिक थे। मेरे लिए वह एक गुरु थे, मार्गदर्शक और मित्र भी थे।’
उन्होंने कहा, ‘अटूट प्रतिबद्धता के साथ, रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने उत्कृष्टता, अखंडता और नवाचार का विस्तार किया। वह हमेशा अपने नैतिक दिशा-निर्देश के प्रति सच्चे रहे। परोपकार और समाज के विकास के प्रति रतन टाटा के समर्पण ने प्रभावित किया है। लाखों लोगों का जीवन, शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य सेवा तक, उनकी पहल ने गहरी जड़ें जमा ली हैं। इससे आने वाली पीढ़ियों को लाभ होगा। पूरे टाटा परिवार की ओर से, मैं उनके प्रियजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। उनकी विरासत हमें प्रेरित करती रहेगी क्योंकि हम उनके सिद्धांतों को कायम रखने का प्रयास करेंगे।’
रतन टाटा बढ़ती उम्र से जुड़ी तकलीफों के चलते अस्पताल में भर्ती कराए गए थे। रतन टाटा ने मार्च 1991 से दिसंबर 2012 तक टाटा समूह की अगुवाई की। टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उन्होंने टाटा ग्रुप को नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक बनाने वाली कंपनी बनाया। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने कई बड़ी कंपनियों का अधिग्रहण किया। टाटा समूह आज देश के सबसे बड़े औद्योगिक घरानों में से एक है। टाटा ने बताया था कि वह अपनी उम्र संबंधी परेशानियों के इलाज के लिए अस्पताल गए हैं। उन्होंने लोगों से कहा था कि चिंता की कोई बात नहीं है। मेरा मनोबल ऊंचा है।’ उन्होंने लोगों और मीडिया से अपील की थी कि वे अफवाहें न फैलाएं।
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा मुंबई के कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। 1962 में टाटा समूह में शामिल होने से पहले रतन टाटा ने अमेरिका में कुछ समय तक काम किया। 1981 में उन्हें टाटा इंडस्ट्रीज का चेयरमैन बनाया गया। 1991 में जेआरडी टाटा की रिटायरमेंट के बाद रतन टाटा ने टाटा संस के चेयरमैन का पद संभाला। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रतन टाटा के निधन को देश के लिए एक बड़ी क्ष्ाति बताया है। उन्होंने कहा कि रतन टाटा ऐसे आइकन थे जिनका भारत की अर्थव्यवस्था एवं इंफ्रास्ट्रक्चर में अहम योगदान था।
उद्योग जगत के महान नायक थे : राजनाथ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक्स हैंडल पर पोस्ट कर लिखा, ‘रतन टाटा के निधन से दुख हुआ। वह भारतीय उद्योग जगत के महान नायक थे जिन्हें हमारी अर्थव्यवस्था, व्यापार और उद्योग में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए जाना जाता है। उनके परिवार, दोस्तों और प्रशंसकों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं।
दूरदृष्टि वाले व्यक्ति थे रतन टाटा: राहुल
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी एक्स पर पोस्ट कर कहा, ‘रतन टाटा दूरदृष्टि वाले व्यक्ति थे। उन्होंने व्यापार और परोपकार दोनों पर अमिट छाप छोड़ी है। उनके परिवार और टाटा समुदाय के प्रति मेरी संवेदनाएं।’
टाइटन का निधन हो गया: हर्ष गोयनका
आरपीजी एंटरप्राइजेज के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने लिखा, ‘घड़ी ने टिक-टिक बंद कर दी है। टाइटन का निधन हो गया। रतन टाटा ईमानदारी, नैतिक नेतृत्व और परोपकार की एक मिसाल थे।