ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। देश में लोकसभा और विधानसभा चुनावों समेत सभी चुनावों को एक साथ करवाने का रास्ता अब साफ हो गया है। मोदी कैबिनेट ने ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ बिल को मंजूरी दे दी है। इससे पहले कैबिनेट ने राम नाथ कोविंद समिति द्वारा इस पर बनाई गई रिपोर्ट को मंजूरी दी थी।
मोदी सरकार अगले हफ्ते इस बिल को संसद में पेश कर सकती है। मोदी कैबिनेट बिल को मंजूरी देने के बाद इस पर आम सहमति बनाना चाहती है। बिल पर व्यापक चर्चा के लिए सरकार इसे संयुक्त संसदीय समिति या जेपीसी के पास भेज सकती है। बिल का उद्देश्य 100 दिनों के भीतर शहरी निकाय और पंचायत चुनावों के साथ-साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराना है।
क्या है एक राष्ट्र एक चुनाव के लाभ?
सरकार का कहना है कि एक साथ चुनाव कराने से धन और समय की बचत होगी। प्रशासनिक व्यवस्था ठीक रहने के साथ सुरक्षा बलों भी तनाव नहीं होगा। चुनाव प्रचार में ज्यादा समय मिलने के साथ विकास कार्य भी ज्यादा हो सकेंगे। वहीं, चुनावी ड्यूटी के चलते सरकारी कार्यों में भी दिक्क तें आती हैं।
इससे पहले ‘एक देश, एक चुनाव’ पर बनी कोविंद समिति की रिपोर्ट को 18 सितंबर को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिल गई थी। प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले 2019 में 73वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक देश एक चुनाव के अपने विचार को आगे बढ़ाया था। उन्होंने कहा था कि देश के एकीकरण की प्रक्रिया हमेशा चलती रहनी चाहिए।
2024 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भी प्रधानमंत्री ने इस पर विचार रखा। तब से अब तक कई मौकों पर भाजपा की ओर एक देश एक चुनाव की बात की जाती रही है। ये विचार इस पर आधारित है कि देश में लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हों। अभी लोकसभा यानी आम चुनाव और विधानसभा चुनाव पांच साल के अंतराल में होते हैं। इसकी व्यवस्था भारतीय संविधान में की गई है। अलग-अलग राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल अलग-अलग समय पर पूरा होता है, उसी के हिसाब से उस राज्य में विधानसभा चुनाव होते हैं।