ब्लिट्ज ब्यूरो
वॉशिंगटन। डोनाल्ड ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में अमेरिका की अर्थव्यवस्था ने 2025 की पहली तिमाही में अप्रत्याशित रूप से गिरावट दर्ज की है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 0.3% की कमी आई है, जो कि बीते तीन वर्षों में पहली तिमाही गिरावट है। 2024 की आखिरी तिमाही में यह वृद्धि दर 2.4% थी।
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह गिरावट आने वाले समय में अमेरिका में मंदी की संभावनाओं को बल दे सकती है।
आयात में असामान्य वृद्धि
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, जीडीपी में गिरावट का सबसे बड़ा कारण है टैरिफ को लेकर आशंकाओं के चलते अमेरिकी कंपनियों द्वारा किया गया भारी आयात। टैरिफ लागू होने से पहले कंपनियों ने बड़ी मात्रा में विदेशी सामान मंगवा लिया, जिससे व्यापार संतुलन पर असर पड़ा और जीडीपी प्रभावित हुई।
उपभोक्ता खर्च में गिरावट
उपभोक्ता खर्च, जो अमेरिकी जीडीपी का लगभग 70% हिस्सा है, इस तिमाही में सुस्त रहा। विशेषज्ञों के मुताबिक, महंगाई, ब्याज दरों और आर्थिक अनिश्चितताओं के चलते आम नागरिकों ने खरीदारी में कटौती की है।
बोस्टन कॉलेज के अर्थशास्त्री ब्रायन बेथ्यून का कहना है, अगर उपभोक्ता खर्च की यह प्रवृत्ति बनी रही, तो यह आर्थिक मंदी की दिशा में पहला संकेत हो सकता है।
मंदी की संभावना 55% तक पहुंची
इंडिपेंडेंट अर्थशास्त्री जोसेफ ब्रुसुएला के मुताबिक, अमेरिका के आर्थिक संकेतकों को देखते हुए, अगले 12 महीनों में देश में मंदी आने की संभावना 55% है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर भी इसका असर पड़ सकता है।
टैरिफ नीति फिर से केंद्र में
डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही चीन के साथ टैरिफ युद्ध को फिर से तेज कर दिया है। अब तक चीनी सामानों पर 125% तक टैरिफ लगाया जा चुका है, जिससे उनकी लागत अमेरिका में दोगुनी से ज्यादा हो गई है। यह कदम अमेरिकी बाजार में चीनी उत्पादों की बिक्री को कम करने के लिए उठाया गया है।
दूसरी ओर, ट्रम्प प्रशासन ने 75 से ज्यादा देशों को 90 दिनों की टैरिफ छूट भी दी है, ताकि नए व्यापार समझौतों पर बातचीत की जा सके।
चीन की प्रतिक्रिया और रणनीति
चीन ने भी जवाबी टैरिफ बढ़ाते हुए कुछ अमेरिकी वस्तुओं पर शुल्क 34% से बढ़ाकर 84% कर दिया है. इसके साथ ही चीन ने घरेलू उत्पादन और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए 1.9 ट्रिलियन डॉलर का अतिरिक्त लोन पैकेज अपने औद्योगिक क्षेत्र को दिया है।
हुआवेई जैसी टेक कंपनियों ने इस समर्थन का लाभ उठाते हुए बड़े स्तर पर रिसर्च और डेवलपमेंट परियोजनाएं शुरू की हैं, जैसे कि शंघाई में नया रिसर्च सेंटर, जो गूगल के मुख्यालय से 10 गुना बड़ा है।