ब्लिट्ज ब्यूरो
देहरादून। उत्तराखंड ने पिछले दो दशक में औद्योगीकरण के मामले में अपने पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) ने एक रिपोर्ट में यह बात कही। रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड ने निर्दिष्ट औद्योगिक क्षेत्रों में योजनाबद्ध औद्योगीकरण का विकल्प चुना है जबकि हिमाचल प्रदेश ने कंपनियों को सीधे किसानों से जमीन खरीदने के लिए कहा है।
वर्ष 2000 से लेकर 2020 तक की अवधि में उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के प्रदर्शन पर नजर डालने वाली अध्ययन रिपोर्ट कहती है कि विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि का उत्तराखंड की समग्र अर्थव्यवस्था और इसके कर आधार पर कई गुना प्रभाव देखने को मिला है। ईएसी-पीएम की सदस्य शमिका रवि और उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव (औद्योगिक विकास और एमएसएमई) आलोक कुमार ने संयुक्त रूप से यह अध्ययन रिपोर्ट लिखी है। यह रिपोर्ट पिछले दो दशक में उत्तराखंड की वृद्धि दर और आर्थिक कायांतरण की तुलना हिमाचल प्रदेश से करती है। रिपोर्ट वर्ष 2003 में पहाड़ी राज्यों के लिए घोषित केंद्र सरकार के रियायती औद्योगिक पैकेज (सीआईपी) के प्रभावों की भी जांच करती है।
रिपोर्ट के मुताबिक, समान औद्योगिक नीतियां होने के बावजूद इन दोनों राज्यों में जमीन से जुड़ी नीतियां अलग होने से इनकी आर्थिक वृद्धि का चक्र अलग-अलग रहा। उत्तराखंड केंद्र से मिले पैकेज का कहीं बेहतर ढंग से लाभ उठाने में सफल रहा। अध्ययन पत्र कहता है कि दोनों पहाड़ी राज्यों ने केंद्रीय पैकेज आने पर लगभग समान औद्योगिक नीतियों की घोषणा की थी। उनके बीच एक महत्वपूर्ण अंतर नगर नियोजन और भूमि नीति को लेकर था।
हिमाचल प्रदेश ने उद्योगों को किसानों से सीधे जमीन खरीदने की अनुमति देने का रास्ता अपनाया, भूमि उपयोग में बदलाव की उदारता से अनुमति दी और नए औद्योगिक संकुलों के आसपास बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए सहायता प्रदान की। दूसरी तरफ उत्तराखंड ने राज्य सरकार की तरफ से दी गई एवं वित्तपोषित बुनियादी ढांचा सुविधाओं के साथ निर्दिष्ट औद्योगिक क्षेत्रों में योजनाबद्ध औद्योगीकरण का विकल्प चुना।