विनोद शील
नई दिल्ली। कश्मीर के पहलगाम में 28 लोगों की नृशंस हत्या के बाद संपूर्ण देश में दुख और गुस्सा है। उरी और पुलवामा हमलों के बाद एक बार फिर से देश का हर नागरिक इस हत्याकांड का बदला लेने की बात कर रहा है और पाकिस्तान को कड़ा सबक सिखाए जाने की मांग कर रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि भारत सरकार पहलगाम में 28 लोगों की नृशंस हत्या करने वाले आतंकवादियों और उनके आकाओं के खिलाफ कभी भी कोई बड़ी कार्रवाई कर सकती है और इसके लिए पूरा देश भी तैयार है।
पहलगाम में हुई आतंकी वारदात ने देश के हर नागरिक को गहरा दुख पहुंचाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ‘मन की बात’ में अपने मन की गहरी पीड़ा व्यक्त की और कहा कि पीड़ित परिवारों के प्रति हर भारतीय के मन मे गहरी संवेदना है।
देश इस समय बेहद नाजुक दौर में है। आमजन का गुस्सा सातवें आसमान पर है। ऐसे में बहुत संजीदगी से कोई भी कदम उठाया जाना चाहिए। पाकिस्तान को कैसे कभी न भूलने वाला सबक सिखाया जाए; केंद्र सरकार यह रणनीति बनाने के लिए दिन-रात मंथन कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी अपनी कैबिनेट और सभी उच्च सैन्य अधिकारियों के साथ एक के बाद एक लगातार बैठकें कर रहे हैं। सूत्रों से पता चला है कि पीएम मोदी ने किसी भी कार्रवाई के लिए सेना को खुली छूट प्रदान कर दी है।
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद फैलाने वाले पड़ोसी देश पाकिस्तान को भारत लगातार घेरने में जुटा है। अब तक केंद्र सरकार पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए तमाम डिप्लोमैटिक स्ट्राइक कर चुकी है जिनमें वाटर स्ट्राइक यानी सिंधु जल समझौते को रद किया जाना, सभी पाकिस्तानियों को भारत छोड़ने का आदेश, अटारी बॉर्डर को बंद किया जाना, पाकिस्तानियों का वीजा रद किया जाना और उच्चायोग स्टाफ को घटाना जैसे बड़े कदम शामिल हैं।
बड़ी डिजिटल स्ट्राइक
इसके बाद भारत सरकार ने बड़ी डिजिटल स्ट्राइक करते हुए 16 पाकिस्तानी यूट्यूब चैनलों को ब्लॉक कर दिया है।
ये चैनल दुखद पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत, उसकी सेना और सुरक्षा एजेंसियों के खिलाफ भड़काऊ और सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील सामग्री, झूठे और भ्रामक बयान और गलत सूचना प्रसारित कर रहे थे। इन चैनलों के कुल 6.3 करोड़ सब्सक्राइबर थे। यूट्यूब चैनलों पर प्रतिबंध में डॉन न्यूज, आर्य न्यूज और जियो न्यूज शामिल हैं। कार्रवाई केंद्रीय गृह मंत्रालय की सिफारिश पर की गई है। पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब अख्तर और बासित अली के यूट्यूब चैनल भी भारत में ब्लॉक कर दिए गए हैं। दुनिया के तमाम बड़े देश आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में उसे समर्थन दे चुके हैं। पहले स्तर पर भारत ने जो कूटनीतिक कार्रवाइयां की हैं उनसे आतंकवादियों की सरपरस्ती करने वाला पाकिस्तान बौखला गया है।
भारत सरकार पाकिस्तान को यह जताना चाहती है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को मदद देना बंद नहीं करता, तब तक सामान्य कामकाज नहीं चल सकता। भारत पिछले 35 सालों से आतंकवाद के कारण जान-माल का बहुत नुकसान झेल रहा है। पाकिस्तानी सेना को अभी कई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पाकिस्तानी जनता सेना को अपना मसीहा और रक्षक नहीं मानती। बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा, सिंध और अफगानिस्तान के साथ लगती डूरंड रेखा पर अशांति बढ़ रही है। 2019 में भारत के बालाकोट स्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी फौज ने ऑपरेशन स्विफ्ट रिटॉर्ट चलाया था। भारत इन चुनौतियों का फायदा उठा सकता है।
रक्षा विशेषज्ञों का मत है कि भारत को अपनी कार्रवाई में ऑपरेशनल और टैक्टिकल दोनों तरह का एक्शन शामिल करना चाहिए। इस तरह वह पाकिस्तान को घुटनों पर ला सकता है।
सैन्य कार्रवाई नियंत्रण भारत के पास रहे
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, सैन्य कार्रवाई इस तरह से की जा सकती है कि स्थिति को नियंत्रण में रखने की जिम्मेदारी भारत के पास रहे। यह जरूरी है कि भारत उस जगह पर वार करे जहां सबसे ज्यादा दर्द हो। जमीन, समुद्र और हवा में लगातार सैन्य गतिविधि शुरू की जा सकती है। इससे पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई करने की क्षमता धीरे-धीरे कम हो जाएगी। इन कार्रवाइयों को सोच-समझकर करने से भारत के असली इरादों को लेकर सिर्फ अंदाज़ा ही लगाता रहेगा पाकिस्तान और पाकिस्तान की किसी भी गलती से भारत को खुलकर जवाब देने का मौका भी मिल जाएगा। चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार के साथ लगती सीमाओं पर मौजूदा स्थिति को भारत को ध्यान में रखना होगा। आतंकवादी शिविरों पर हमला करने से पाकिस्तान को ज्यादा नुकसान नहीं होगा क्योंकि वहां बुनियादी ढांचा कमजोर है और उन्हें जल्दी से खाली किया जा सकता है। इसलिए आतंकवादियों की कमर तोड़ने के लिए कुछ ठोस करना होगा।
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार कुछ अन्य उपायों से भी पाकिस्तान को गहरी चोट पहुंचाई जा सकती है। इनमें पाकिस्तान को आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला देश घोषित करना, भारत की ओर से सैन्य या ग़ैर पारंपरिक कार्रवाई के खिलाफ किसी भी हस्तक्षेप को रोकने के लिए दुनिया का समर्थन हासिल करना, पश्चिमी देशों से पाकिस्तान को सैन्य आपूर्ति रोकना और पाकिस्तानी सेना के व्यवसायों की पहचान करना और उन्हें रोकना शामिल हो सकता है। पाकिस्तान को कच्चे तेल की आपूर्ति रोकने के लिए भारत को रूस, सऊदी अरब और यूएई के साथ मिलकर काम करना होगा। अमेरिका से पाकिस्तान को विदेशी सैन्य सहायता योजना के तहत दिए गए सैन्य उपकरणों के इस्तेमाल पर सख्त नियंत्रण लगाने के लिए अमेरिका के साथ बात करनी होगी। इसमें एफ-16 विमानों के रखरखाव के लिए हाल ही में दी गई 397 मिलियन डॉलर की मंज़ूरी को रोकना भी शामिल है। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत को पाकिस्तानी सरकार और आतंकियों को ट्रेनिंग देने वाली उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई के खिलाफ व्यापक अभियान चलाना होगा। मौजूदा आतंकवाद विरोधी ग्रिड में हजारों वर्दीधारी कर्मी और खुफिया एजेंसियां शामिल हैं। उनके तालमेल और तकनीकों को मजबूत करने की जरूरत है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल रास्तों का पता लगाने, आतंकियों की पहचान करने, उनके हैंडलर, आवाज के नमूने और स्थानीय समुदाय के भीतर संभावित समर्थकों की पहचान करने के लिए किया जा सकता है। साथ ही ऐसी तकनीक पर भी नजर रखनी होगी जिनका प्रयोग आतंकवादी सुरक्षा बलों से बचने के लिए करते हैं।
चीन और तुर्की का साथ मिल सकता है पाकिस्तान को : आर्थिक संकट के बावजूद पाकिस्तानी सेना ने अपने सदाबहार दोस्त चीन और तुर्की की मदद से तीनों क्षेत्रों में अपनी क्षमताएं बढ़ाना जारी रखा है। ऐसे में अगर भारत सैन्य कार्रवाई करता है, तो पाकिस्तान को चीन और तुर्की से गुप्त रूप से समर्थन मिलने की संभावना है।
भारत के पक्ष में हैं ये बातें
अमेरिका ने दिया भरोसा, आतंकियों को करेंगे ट्रैक
भारत को अमेरिका के राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड सहित कई देशों से पूरा समर्थन मिला है। तुलसी गबार्ड ने भारत को हमलावरों को न्याय के कटघरे में लाने में पूरी मदद करने का आश्वासन दिया है। यह अमेरिकी प्रशासन का एक महत्वपूर्ण बयान है। आतंकियों को ट्रैक करने में अमेरिकी मदद से भारतीय खुफिया क्षमता बढ़ेगी। इससे दुनिया को पाकिस्तानी सरकार की मिलीभगत का सबूत मिलेगा। पाकिस्तान पहले भी कई आतंकी हमलों में इसका इस्तेमाल एक बहाने के तौर पर करता रहा है।
– 16 पाकिस्तानी यूट्यूब चैनल ब्लॉक
– बौखला गया है पाकिस्तान
– किसी भी कार्रवाई के लिए सेना को मिली खुली छूट