ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने उपराष्ट्रपति और उच्च सदन के सभापति जगदीप धनखड़ पर गंभीर सवाल उठाए हैं। सिब्बल ने सवाल पूछा कि जगदीप धनखड़ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर कुमार यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के नोटिस पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जज को बचाने की कोशिश कर रही है, क्योंकि उन्होंने पिछले साल सांप्रदायिक बयान दिया था।
इसके साथ ही सिब्बल ने दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ लाए जा रहे महाभियोग प्रस्ताव का विरोध करने का एलान किया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से राज्यसभा सभापति ने शेखर यादव के खिलाफ इन-हाउस जांच को सुप्रीम कोर्ट में चिट्ठी लिखकर रुकवा दिया, उस तरह की चिट्ठी यशवंत वर्मा के मामले में क्यों नहीं लिखी गई। सिब्बल ने कहा कि इन-हाउस रिपोर्ट के आधार पर मंत्री किरेन रिजिजू जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग लाकर उन्हें पद से हटाना चाहते हैं और इसके लिए वह वकीलों से सलाह भी ले रहे हैं। कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर सरकार जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लेकर आती है तो हम इसका विरोध करेंगे क्योंकि यह पूरी तरह से असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता है तो इससे न्यायपालिका की आजादी को बहुत बड़ा खतरा है। सिर्फ इन-हाउस रिपोर्ट के आधार पर किसी जज को पद से नहीं हटाया जा सकता। सरकार न्यायाधीश जांच अधिनियम की अनदेखी करना चाहती है और यह न्यायपालिका को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही है।
जस्टिस वर्मा के लिए क्यों नहीं लिखी चिट्ठी
सिब्बल ने जस्टिस शेखर यादव के मामले को लेकर कहा कि पूरी घटना में भेदभाव की बू आती है, क्योंकि एक ओर तो राज्यसभा के महासचिव ने भारत के चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखकर कहा कि वे शेखर यादव के खिलाफ इन-हाउस जांच न करें, क्योंकि उनके खिलाफ राज्यसभा में एक याचिका लंबित है, जबकि जस्टिस यशवंत वर्मा के मामले में ऐसा नहीं किया गया।
कपिल सिब्बल ने जगदीप धनखड़ पर निशाना साधते हुए कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और जब संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति, छह महीने में संवैधानिक दायित्वों को पूरा नहीं करता है तो सवाल उठना स्वाभाविक है।-