ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। केंद्रीय श्रम सचिव सुमिता डावरा ने कहा है कि विकसित भारत के लिए 2047 तक कार्यबल में 70 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी होगी जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि रहेगी। उन्होंने महिला उद्यमियों के लिए मार्गदर्शन का भी जिक्र किया। उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सेवा क्षेत्र में महिलाओं पर सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें महिलाओं की भागीदारी की काफी संभावनाएं है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत उनके लिए शिक्षा बढ़ाने का सुझाव दिया।
श्रम सचिव ने महिला उद्यमियों और स्टार्टअप के लिए उद्यम पूंजी सहायता बढ़ाने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘महिला उद्यमियों के लिए यह (उद्यम पूंजी सहायता) बहुत महत्वपूर्ण है। महिलाओं को नेतृत्व और निर्णय लेने वाली भूमिकाओं के लिए मार्गदर्शन दिया जाना चाहिए। हमारे पास प्रावधान है, हमें महिलाओं के लिए मार्गदर्शन भी प्रदान करना चाहिए, जहां इसकी आवश्यकता है।’ डावरा ने सेवा क्षेत्र में महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसे पूर्वाग्रह हो सकते हैं जो उन्हें कार्यबल में प्रवेश करने से रोकते हैं। नेतृत्व की भूमिकाओं में भी वेतन असमानताएं हो सकती हैं, नौकरी की सुरक्षा संबंधी चिंताएं और घरेलू व पेशेवर जिम्मेदारी के बीच संतुलन बनाने जैसे मुद्दे हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि आंकड़ों से पता चलता है कि लगभग 45 प्रतिशत महिलाएं बच्चों की देखभाल और घरेलू प्रतिबद्धताओं को कार्यबल में भाग न लेने का कारण बताती है लेकिन पिछले छह साल में आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। शिक्षित महिलाओं के कार्यबल में शामिल होने की प्रवृत्ति बढ़ रही है और वेतन असमानता को लेकर कुछ चुनौतियों के बावजूद उनकी आय में भी लगातार वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा, ‘आज हम महिलाओं को सेवा क्षेत्र, प्रौद्योगिकी, वित्त और विनिर्माण क्षेत्र में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए देखते हैं।