दीपक द्विवेदी
चीन में तेजी से फैल रहे एक और वायरस के संक्रमण की खबर ने पूरी दुनिया में एक बार फिर चिंता की लहर का संचार कर दिया है। वायरस ने चीन में भारी तबाही मचाई है और अब इसके दुनिया के बाकी हिस्सों में भी फैलने की आशंका जताई जा रही है। ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) नाम का यह वायरस भी श्वसन तंत्र पर हमला करता है जो सर्दी के मौसम में ज्यादा एक्टिव होता है। प्रारंभ में इसमें फ्लू जैसे ही लक्षण दिखते हैं और किसी-किसी मरीज की स्थिति तो काफी नाजुक भी हो जाती है। दुनिया में कई तरह के वायरस होते हैं जिनमें से कुछ ज्यादातर खतरनाक जबकि कुछ कम हानिकारक होते हैं। इन वायरसों की स्टडी करने के बाद वैज्ञानिक उनकी वैक्सीन्स बनाते हैं ताकि इनसे निपटा जा सके। हालांकि कुछ वायरस ऐसे भी होते हैं जिन्हें हल्के में ले लिया जाता है और उनकी वैक्सीन्स समय रहते नहीं बन पातीं। 23 साल पहले ऐसा ही एक वायरस आया था जिसे उस समय गंभीरता से नहीं लिया गया था। आज वही एचएमपीवी वायरस दुनिया भर में तबाही मचा सकता है जो इस समय चीन में कहर बरपा रहा है।
चीन में इस समय सर्दी का मौसम है और इसी समय एचएमपीवी वायरस ने वहां के लोगों को अपनी चपेट में लिया है। लाखों लोग इससे प्रभावित हो चुके हैं और अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ती जा रही है। इस वायरस ने चीन के कई हिस्सों में हाहाकार मचा दिया है। इसकी वजह से भारत सहित कई देशों में भी सतर्कता बढ़ा दी गई है। भारत सरकार ने भी लोगों को एचएमपीवी के बारे में जागरूक किया है और सावधानी बरतने की सलाह दी है।
एचएमपीवी को लेकर दुनियाभर में अलर्ट की स्थिति है। चीन में दिसंबर के मध्य से फैल रहे इसके संक्रमण को लेकर डर की स्थिति तब और बढ़ गई, जब भारत में एचएमपीवी के केसों की पुष्टि हुई। इस बीच चिकित्सकों और विशेषज्ञों का कहना है कि ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस कोई नया वायरस नहीं है बल्कि इसका अस्तित्व दुनिया में करीब 60 साल से माना जा रहा है। इसके प्रभावों को लेकर डब्ल्यूएचओ से लेकर अलग-अलग स्वास्थ्य संस्थानों ने सावधान रहने को कहा है। हालांकि इसे बड़ा खतरा नहीं माना जा रहा है। इसके बावजूद पहले चीन, फिर भारत और अब कुछ और देशों में एचएमपीवी फैलने की वजह से इसकी संक्रमण दर को लेकर चिंता बनी हुई है। इतना ही नहीं ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस से संक्रमितों में कोरोना वायरस प्रभावितों जैसा ही संक्रमण दर्ज किया गया है। इसके चलते एचएमपीवी के प्रभावों की तुलना भी कोविड-19 से की जा रही है जो कि चीन में ही उभरने के बाद दुनिया के कई देशों में फैल गया था जिसने लाखों लोगों की जान ले ली थी।
जैसा कि सारी दुनिया जानती है कि चीन से सूचनाएं मिलना आसान नहीं है। चीन सूचनाओं को हरसंभव तरीके से छिपाता है और आधिकारिक रूप से वह अभी भी गोपनीयता बरत रहा है। सोशल मीडिया के जरिये भी एचएमपीवी वायरस के आतंक की खबरें आने लगी हैं। चीन की जिम्मेदार एजेंसियां इस के दुष्प्रभाव को घटाने में लगी हैं और यह उम्मीद करनी चाहिए कि चीन इस रोग पर लगाम लगाने में कामयाब हो जाएगा। चीन अपने यहां कोरोना वायरस पर भी लगाम लगाने में एक हद तक कामयाब रहा था लेकिन वह दूसरे देशों में उसे फैलने से नहीं रोक पाया था। अब यह उम्मीद करनी चाहिए कि चीन अपने वहां से किसी भी संदिग्ध को किसी देश की यात्रा करने नहीं देगा। बहरहाल, एचएमपीवी का संक्रमण व्यक्तिगत संपर्क से बढ़ रहा है। अगर किसी संक्रमित व्यक्ति के किसी सामान को कोई स्वस्थ व्यक्ति छुएगा तभी संक्रमण का खतरा बताया जा रहा है। इसका अभी कोई टीका नहीं है। इसकी कोई एंटीवायरल दवा भी उपलब्ध नहीं है। अधिकतर मरीजों में मामूली समस्याएं ही आ रही हैं। ज्यादातर लोग लक्षण के अनुसार इलाज और विश्राम से ही स्वस्थ हो जा रहे हैं पर सावधानी बरतना किसी भी हालत में छोड़ा नहीं जाना चाहिए। चीन ने स्पष्ट तौर पर कुछ जानकारी उपलब्ध नहीं कराई है किंतु अनुमान है कि गंभीर मामलों में लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए अस्पताल में भर्ती होने, ऑक्सीजन थेरेपी आदि की आवश्यकता कोविड की भांति ही पड़ सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की अगर मानें, तो वायरस का संक्रमण अक्तूबर महीने से ही बढ़ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि एचएमपीवी मौसमी रूप से फैलकर शांत हो जाए। उम्मीद यही की जानी चाहिए कि यह बीमारी मौसमी साबित हो और कम से कम लोगों के जीवन पर असर डाले। पर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कोरोना महामारी के समय भी विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका बहुत संतोषजनक नहीं रही थी और वह चीन के प्रति अपेक्षाकृत अधिक नरम और उदार रहा था।
भारत ने यह ठीक ही किया जो विश्व स्वास्थ्य संगठन से समय रहते सूचना की मांग की है ताकि आवश्यकतानुरूप लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा संबंधी व्यवस्था समुचित तरीके से की जा सके। चीन को भी चाहिए कि वह विकास के नाम पर विभिन्न उत्पादों का निर्यातक देश ही बना रहे और दुनिया को बीमारियों का निर्यात करने वाला देश न बने। इसी में सारी दुनिया और स्वयं उसका हित समाहित है।