ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। यूरोप की जलवायु एजेंसी कॉपरनिकस ने दावा किया है कि इस साल की गर्मियों के दौरान धरती का तापमान सबसे ज्यादा रहा। एजेंसी का कहना है कि ये साल मानवता के इतिहास में सबसे गर्म साल रहा। वैज्ञानिकों के अनुसार रिकॉर्ड तोड़ गर्मी की वजह मानव जनित कारणों के अलावा, जलवायु परिवर्तन, अल नीनो प्रभाव और मौसम संबंधी बदलाव हैं।
पिछले साल से भी ज्यादा रहा औसत तापमान
कॉपरनिकस के अनुसार, जून, जुलाई और अगस्त में औसत तापमान 16.8 डिग्री सेल्सियस (62.24 डिग्री फ़ारेनहाइट) था। यह 2023 के पुराने रिकॉर्ड से 0.03 डिग्री सेल्सियस (0.05 डिग्री फ़ारेनहाइट) ज्यादा गर्म है। कोपरनिकस के रिकॉर्ड 1940 से ही मौजूद हैं, लेकिन अमेरिकी, ब्रिटिश और जापानी रिकॉर्ड, जो 19वीं सदी के मध्य से शुरू होते हैं, बताते हैं कि पिछले दशक में औसत तापमान सबसे ज्यादा गर्म रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि बीते 1,20,000 वर्षों में यह सबसे ज्यादा तापमान है।
अगस्त का औसत तापमान
कॉपरनिकस के निदेशक कार्लो बुओंटेम्पो ने बताया कि साल 2024 और 2023 में अगस्त महीने के दौरान औसत तापमान 16.82 डिग्री सेल्सियस रहा, जो वैश्विक तापमान के बराबर है। वैज्ञानिकों का कहना है कि आंकड़े बताते हैं कि किस तरह से जलवायु परिवर्तन का हम पर शिकंजा कसता जा रहा है। इससे पहले पिछला साल यानी कि 2023 भी औसत तौर पर काफी गर्म रहा था और ऐसी चर्चा थी कि क्या 2023 धरती का सबसे गर्म साल रहा, लेकिन अब 2024 के आंकड़े सामने आने के बाद साफ हो गया है कि ये साल धरती का सबसे गर्म साल रहा।
एरिजोना में 100 दिन तक तापमान 37.8 डिग्री से ज्यादा रहा
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, जलवायु विज्ञानी जोनाथन ओवरपैक का कहना है कि अमेरिका के एरिजोना में इस साल 100 से भी ज्यादा दिनों तक तापमान 37.8 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा रहा। साथ ही हीट वेव, भारी बारिश, बाढ़ जैसी घटनाएं भी ज्यादा हुईं। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है।