ब्लिट्ज ब्यूरो
लंदन। जल्दी सोना और जल्दी जागने वाला चलन लगभग पुराना हो चुका है। आज की पीढ़ी देर रात तक जगती है जिससे उनकी सुबह भी देर से होती है, इसे एक नए अध्ययन में गलत बताया गया है।
शोधकर्ताओं का दावा है कि रात को जल्दी सोने वाले किशोरों का दिमाग अधिक तेज होता है। शोध के अनुसार, 15 मिनट की अधिक नींद भी किशारों के दिमाग की कार्यक्षमता को बेहतर बनाने में मदद करती है। अमेरिकी अकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसीन के अनुसार किशोरों को रोजाना 8 से 10 घंटे की नींद लेनी चाहिए।
डिवाइस से किया ट्रैक ः कैम्बि्रज यूनिवर्सिटी और चीन के शोधकर्ताओं का यह अध्ययन सेल रिपोर्ट में प्रकाशित किया गया है। इसके अनुसार जो किशोर जल्दी सोते हैं और पर्याप्त नींद लेते हैं, वे पढ़ाई और दिमागी कामों में बाकी बच्चों से कहीं बेहतर प्रदर्शन करते हैं। दरअसल, नींद के दौरान ह्रदय की गति सबसे कम होती है और शरीर के साथ दिमाग को भी आराम का वक्त मिलता है। शोध में 3,222 से अधिक किशोरों को शामिल किया गया। इनकी नींद नियमित और पर्याप्त थी, वे पठन-पाठन, शब्दावली, समस्या सुलझाने और अन्य मानसिक क्षमताओं में अधिक तेज पाए गए।
कम नींद लेने से शारीरिक और मानसिक नुकसान
हृदय : कम नींद लेने से आगे चलकर उच्च रक्तचाप और हृदय रोग का खतरा बढ़ता है।
मधुमेहः शरीर में इंसुलिन का स्तर बढ़ सकता है। मधुमेह का खतरा बढ़ेगा।
मोटापाः भूख बढ़ाने वाले हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे वजन बढ़ने की संभावना ज्यादा हो जाती है।
अवसाद और चिंता: कम नींद लेने से अवसाद और चिंता घेर सकती है।
सोचने-समझने पर असर ः नींद की कमी से सोचने की क्षमता, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और निर्णय लेने की क्षमता कम हो जाती है। चिड़चिड़ापनः कम नींद लेने से चिड़चिड़ापन और गुस्सा बढ़ सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, उम्र के हिसाब से जरूरी नींद
– •शिशु (0-3 महीने) : 14-17 घंटे
– छोटे बच्चे (1-2 साल) : 11-14 घंटे
– प्रीस्कूल बच्चे (3-5 साल) : 10-13 घंटे
– स्कूल जाने वाले बच्चे (6-12 साल): 9-11 घंटे
– किशोर (13-18 साल): 8-10 घंटे
– वयस्क (18-60 साल): 7-9 घंटे
– बुजुर्ग (60+ साल) : 7-8 घंटे