ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) भारतीय वायुसेना को उसका पहला लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस एमके-1ए अक्टूबर अंत तक दे सकता है। इस स्वदेशी लड़ाकू विमान की पहली उड़ान मार्च में हो चुकी है। तब से अब तक इसके इंटीग्रेशन ट्रायल्स चल रहे हैं। यानी अलग-अलग यंत्रों और हथियारों को लगाकर उसकी टेस्टिंग हो रही है।
83 तेजस एमके-1ए का ऑर्डर
इंडियन एयरफोर्स ने 83 तेजस एमके-1ए का ऑर्डर एचएएल को दिया था। इसके लिए 48 हजार करोड़ रुपए की लागत आई है। तेजस के आने से वायुसेना के पुराने मिग सीरीज के विमान को हटा दिया जाएगा। नए तेजस के साथ राजस्थान के जोधपुर में तीसरा स्क्वॉड्रन बनाया जाएगा। यानी पाकिस्तान किसी भी तरह की हिमाकत नहीं कर सकता। यह फाइटर जेट दुनिया का सर्वश्रेष्ठ हल्का लड़ाकू विमान है।
आइए जानते हैं इसकी खासियतों को
तेजस एमके-1ए फाइटर जेट में डिजिटल फ्लाई बाय वायर फ्लाइट कंट्रोल कंप्यूटर (डीएफसीसी) को लगाया गया है। साधारण भाषा में मतलब होता है कि फाइटर जेट से मैन्यूअल फ्लाइट कंट्रोल्स हटाकर इलेक्ट्रॉनिक इंटरफेस लगाना। यानी कंप्यूटर विमान को उड़ाते समय पायलट के मुताबिक संतुलित रखता है।
इंजन का नियंत्रण
इस सिस्टम से राडार, एलिवेटर, एलिरॉन, फ्लैप्स और इंजन का नियंत्रण इलेक्ट्रॉनिक तरीके से होता है। फ्लाई बाय वायर फाइटर जेट को स्टेबलाइज करता है। यह विमान को सुरक्षित बनाता है। विमान के उन्नत संस्करण, तेजस एमके-1ए में उन्नत मिशन कंप्यूटर, उच्च प्रदर्शन क्षमता वाला डिजिटल फ्लाइट कंट्रोल कंप्यूटर, स्मार्ट मल्टी-फंक्शन डिस्प्ले , एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे रडार, एडवांस्ड सेल्फ-प्रोटेक्शन जैमर, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट आदि सुविधाएं हैं।
कुछ चीजें बदली गई
यह फाइटर जेट वैसे तो तेजस एमके-1 की तरह ही है, इसमें कुछ चीजें बदली गई हैं। जैसे इसमें अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूईट, उत्तम एईएसए राडार, सेल्फ प्रोटेक्शन जैमर, राडार वॉर्निंग रिसीवर लगा है। इसके अलावा इसमें बाहर से ईसीएम पॉड भी लगा सकते हैं।
पिछले वैरिएंट से थोड़ा हल्का
मार्क-1ए पिछले वैरिएंट से थोड़ा हल्का है लेकिन यह आकार में उतना ही बड़ा है यानी 43.4 फीट की लंबाई,14.5 फीट की ऊंचाई, अधिकतम 2200 किमी की स्पीड से उड़ान भर सकता है। कॉम्बैट रेंज 739 किलोमीटर है।