ब्लिट्ज ब्यूरो
पुणे। ‘बर्गर किंग’ को लेकर लोग जानते हैं कि यह अमेरिका का एक बड़ी कंपनी है। इस ग्लोबल दिग्गज कंपनी को पुणे के ‘बर्गर किंग’ ने हरा दिया है। दरअसल नाम को लेकर अमेरिकी कंपनी और पुणे के इस ‘बर्गर किंग’ आउटलेट की कोर्ट में लड़ाई चल रही थी। 13 साल बाद पुणे के ‘बर्गर किंग’ के पक्ष में कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया।
पुणे बर्गर किंग केस
जिला न्यायाधीश सुनील वेदपथक ने अपने आदेश में वैश्विक फास्ट फूड दिग्गज अमेरिका स्थित ‘बर्गर किंग’ कॉर्पोरेशन की ओर से स्थानीय प्रतिष्ठान के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है।
कपल चलाता है रेस्तरां
‘मैसर्स बर्गर किंग’ के मालिक अनाहिता और शापूर ईरानी के खिलाफ मुकदमा ‘बर्गर किंग कॉर्पोरेशन’ ने दायर किया था। अनाहिता और शापूर कैंप और कोरेगांव पार्क क्षेत्रों में अपने प्रतिष्ठित भोजनालय ‘बर्गर किंग’ का संचालन करते हैं।
कंपनी ने बैन लगाने की रखी मांग
बहुराष्ट्रीय कंपनी ने नुकसान के दावे और नाम के उपयोग पर स्थायी प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।
कोर्ट में क्या दलीलें
अधिवक्ता अभिजीत सरवटे की टीम ने अधिवक्ता सृष्टि आंगने और राहुल परदेशी की सहायता से मामले में पुणे के ‘बर्गर किंग’ का प्रतिनिधित्व किया। न्यायाधीश वेदपथक ने अपने फैसले में कहा कि अमेरिकी कंपनी ने भारत में जब अपना ट्रेडमार्क पंजीकृत कराया, उससे बहुत पहले, पुणे का ‘बर्गर किंग’ 1992-1993 से व्यावसायिक नाम और ट्रेडमार्क का उपयोग कर रहा था। न्यायाधीश ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिकी कंपनी ने लगभग 30 वर्षों से भारत में ट्रेडमार्क का उपयोग नहीं किया था, इस दौरान पुणे की ‘बर्गर किंग’ ने लगातार नाम के तहत सेवाएं प्रदान कीं, जिससे ट्रेडमार्क का उपयोग कानूनी और ईमानदार हो गया।
अमेरिका की ‘बर्गर किंग’ कंपनी कैसे हुई शुरू
जेम्स मैकलामोर और डेविड एडगर्टन ने 1954 में ‘बर्गर किंग’ कॉर्पोरेशन बर्गर किंग नाम से एक रेस्तरां स्थापित किया था। अब यह दुनिया भर में 100 से अधिक देशों और अमेरिकी क्षेत्रों में 13,000 फास्ट फूड रेस्तरां का संचालन करते हैं। इसके लगभग 97 प्रतिशत रेस्तरां फ्रेंचाइजी से चलते हैं। यह बहुराष्ट्रीय कंपनी वर्तमान में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी फास्ट फूड हैमबर्गर कंपनी है जिसमें 30,300 लोग काम करते हैं। एशिया में पहला बर्गर किंग फ्रेंचाइजी रेस्तरां 1982 में खोला गया था और वर्तमान में एशिया में 1,200 से अधिक यूनिट हैं।
भेजा नोटिस
कंपनी ने 2014 में नई दिल्ली, मुंबई, पुणे में आउटलेट खोलकर भारतीय बाजार में प्रवेश किया और पाया कि 2008 से इसी नाम से एक रेस्तरां पहले से ही चल रहा था।
वैश्विक दिग्गज ने अपनी याचिका में कहा कि जब यूएस-आधारित फर्म ने ट्रेड मार्क के लिए आवेदन किया तो उन्हें ‘बर्गर किंग’ के तहत पुणे के बर्गर किंग के ट्रेडमार्क का पता चला।
विदेशी फर्म ने यह भी पाया कि ईरानी पुणे में ‘बर्गर किंग’ के नाम से एक रेस्तरां भी चला रहे हैं और उन्हें एक नोटिस भेजा। ईरानियों के एजेंट ने 3 जुलाई, 2009 को जवाब में अपने रेस्तरां के लिए ‘बर्गर किंग’ नाम का उपयोग करने पर जोर दिया।
पुणे स्थित ‘बर्गर किंग’ ने अमेरिकी फर्म की मांगों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। उसके बाद मामला कोर्ट में पहुंचा। 13 साल से कोर्ट में केस पेंडिंग था, जिसका अब फैसला आया है।