डा. सीमा द्विवेदी
नई दिल्ली। जनगणना को लेकर केंद्र सरकार ने आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है। जनगणना की ये प्रक्रिया 1 मार्च 2027 तक पूरी हो जाएगी, जबकि लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में जनगणना पूरी होने की तिथि 1 अक्टूबर 2026 रहेगी। जनगणना के साथ ही इस बार जाति की जनगणना भी करवाई जाएगी, यानी कि जाति भी पूछी जाएगी जिसका सरकार ने कुछ वक्त पहले ही एलान किया था।
यह हुआ फैसला
जातियों की गणना के साथ-साथ जनगणना-2027 को दो चरणों में कराने का निर्णय लिया गया है। जनगणना-2027 के लिए संदर्भ तिथि मार्च, 2027 के प्रथम दिन 00:00 बजे होगी यानी 1 मार्च 2027 तक जनगणना का काम पूरा कर लिया जाएगा।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि जनगणना 2027 में होगी। इसके लिए लोगों से हर स्तर पर जानकारी ली जाएगी। मोबाइल एप्लीकेशन का उपयोग करते हुए यह डिजिटल माध्यम से कराई जाएगी।
जनगणना 2027 से जुड़ी कुछ बड़ी बातें इस प्रकार हैं जिन्हें समझना चाहिए…
फील्ड में डोर-टु-डोर जनगणना करने के लिए 34 लाख सर्वे करने वाले सुपरवाइजर लगाए जाएंगे, जो फील्ड से डेटा इकठ्ठा करने का काम करेंगे।
इसके अलावा एक लाख 30 हजार जनगणना पदाधिकारी तैनात किए जाएंगे, ये सारे कर्मचारी जनगणना के लिए फील्ड सर्वे से लेकर इसका पूरा डेटा बनाने का काम करेंगे। जनगणना में जाति भी पूछी जाएगी।
जनगणना डिजिटल की जाएगी, इसके लिए मोबाइल एप्लीकेशन का उपयोग करते हुए यह डिजिटल माध्यम से की जाएगी।
मंत्रालय ने बताया कि दो चरणों में की जाने वाली जनगणना में पहले चरण में मकान सूचीकरण और मकानों की गणना (एचएलओ) की जाएगी।
इसमें प्रत्येक परिवार की आवासीय स्थिति, संपत्ति और सुविधाओं के बारे में जानकारी इकट्ठी की जाएगी।
इसके बाद दूसरे चरण में जनगणना (पीई) में प्रत्येक घर में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जनसांख्यिकीय, सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और अन्य जानकारी एकत्र की जाएगी।
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी। इसके जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में मौजूद आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। प्रधानमंत्री ने जी7 नेताओं के साथ अपनी बातचीत को उत्पादक बताया और कहा कि चर्चा वैश्विक चुनौतियों और बेहतर भविष्य की आशाओं पर केंद्रित रही।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान ‘ग्लोबल साउथ’ की चिंताओं और प्राथमिकताओं पर ध्यान दिए जाने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज को वैश्विक मंच पर पहुंचाना अपनी जिम्मेदारी समझता है। ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों के संदर्भ में किया जाता है।
‘ग्रुप ऑफ सेवन’ (जी7) दुनिया की सात उन्नत अर्थव्यवस्थाओं फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, इटली और कनाडा तथा यूरोपीय संघ का एक अनौपचारिक समूह है। इसके सदस्य वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए हर साल जी7 शिखर सम्मेलन में मिलते हैं।
इन मुद्दों पर भी बोले पीएम मोदी
मोदी ने कहा, उपलब्धता, पहुंच, सामर्थ्य, स्वीकार्यता के मूलभूत सिद्धांतों पर आगे बढ़ते हुए भारत ने समावेशी विकास का मार्ग चुना है। जायसवाल ने बताया कि मोदी ने अपने संबोधन में एक स्थायी एवं हरित मार्ग के माध्यम से सभी के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और इस उद्देश्य की दिशा में भारत की वैश्विक पहलों; जैसे कि अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन और वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन के बारे में विस्तार से बताया।
मोदी ने कहा, एआई (कृत्रिम मेधा) अपने आप में एक ऐसी प्रौद्योगिकी है जिसके लिए बहुत ऊर्जा की आवश्यकता है। अगर प्रौद्योगिकी संचालित समाज की ऊर्जा आवश्यकताओं को स्थायी रूप से पूरा करने का कोई तरीका है तो वह नवीनीकृत ऊर्जा के माध्यम से ही है।
उन्होंने कहा कि पिछली सदी में ऊर्जा के लिए प्रतिस्पर्धा थी लेकिन इस सदी में हमें प्रौद्योगिकी के लिए सहयोग करना होगा। मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि ‘डीप-फेक’ बड़ी चिंता का विषय है इसलिए एआई की मदद से बनाई गई सामग्री पर स्पष्ट घोषणा अंकित होनी चाहिए कि यह कृत्रिम मेधा की मदद से बनाई गई है। तस्वीर या वीडियो में किसी व्यक्ति के चेहरे या शरीर को डिजिटल रूप से बदलने की प्रौद्योगिकी को ‘डीपफेक’ कहते हैं। ‘मशीन लर्निंग’ और एआई से बने ये वीडियो और तस्वीरें असली जैसी नजर आती हैं और कोई भी व्यक्ति इन्हें देखकर धोखा खा सकता है।
कनाडा से सुधरेंगे रिश्ते
भारत और कनाडा के बीच कुछ समय से चले आ रहे राजनयिक तनाव को समाप्त करने की दिशा में भी एक सकारात्मक पहल हुई। जी7 सम्मेलन में पीएम मोदी की भागीदारी भारत की वैश्विक भूमिका को और मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम के रूप में देखी जा रही है, जहां भारत ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख और विकासशील देशों की आवाज को बुलंद किया। पीएम मोदी का यह कनाडा दौरा लगभग एक वर्ष बाद हुआ है।