ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। हर दिन लाल किले का दीदार करने के लिए दुनिया भर से पर्यटक आते हैं। स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से पीएम तिरंगा फहराते हैं, इससे पहले इसकी जोरदार तैयारी की जाती है। इसकी गिनती देश की ऐतिहासिक इमारतों में की जाती है। इससे जुड़ी हुई एक बड़ी खबर सामने आई है। आखिरी मुगल शासक बहादुर शाह जफर-द्वितीय के पड़पोते की विधवा सुल्ताना बेगम ने एक याचिका दायर करते हुए इस पर मालिकाना हक मांगा था। सुप्रीम कोर्ट ने बेगम की याचिका को खारिज कर दिया है।
लाल किला ही क्यों
उनकी याचिका को खारिज करते हुए मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि केवल लाल किला ही क्यों? फतेहपुर सीकरी और ताजमहल पर दावा क्यों नहीं किया? यह कोई पहली बार नहीं है जब सुल्ताना ने कब्जे की मांग की थी।
खटखटाया था हाईकोर्ट का दरवाजा
बता दें कि साल 2021 में उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। तब सुल्ताना बेगम ने बताया था कि 1960 में सरकार ने उनके पति बेदार बख्त के बहादुर शाह ज़फ़र द्वितीय के वंशज और उत्तराधिकारी के रूप में दावे की पुष्टि की थी। इसके बाद सरकार ने उन्हें पेंशन देना शुरू किया जो 1980 में उनकी मृत्यु के बाद उनके खाते में चली गई। इसे लेकर उन्होंने ये भी तर्क दिया था कि उन्हें जितनी पेंशन दी जाती है उससे उनकी जरूरतें नहीं पूरी होती है।
लगाया था ये आरोप
तब भी उन्होंने आरोप लगाया था कि सरकार ने लाल किले पर ‘अवैध’ कब्जा कर लिया है। 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों ने परिवार को उनकी संपत्ति से वंचित कर दिया था और सम्राट को देश से निर्वासित कर दिया गया था। इसके अलावा मुगलों से लाल किले का कब्जा जबरदस्ती छीन लिया गया था।