ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ संवाद में खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि गोधरा की घटना को लेकर भ्रम फैलाया गया और मेरी छवि खराब करने की कोशिश की गई। मगर, उनकी कोशिशें कामयाब नहीं हुई और मैं निर्दोष था, तो अदालत से निर्दोष साबित भी हुआ। इस मामले में अब आरोपियों को सजा मिल चुकी है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि 2002 में गुजरात में लगातार दंगे होते रहे, लेकिन 2002 के बाद कोई बड़ी घटना नहीं हुई। मोदी ने कहा कि 7 अक्टूबर 2001 को अचानक मुख्यमंत्री बनने का दायित्व मेरे सिर पर आ गया। उस समय गुजरात में बहुत बड़ा भूकंप आया था। हजारों लोगों की मृत्यु हो गई थी। मुझे बड़े पैमाने पर लोगों के लिए व्यवस्था करनी थी। मैंने पहले ही दिन से इसके लिए काम शुरू किया।
मोदी ने गोधरा कांड को याद करते हुए कहा, 27 फरवरी 2002 को मेरी सरकार बजट पेश करने वाली थी, तभी हमे गोधरा ट्रेन हादसे की सूचना मिली। यह बहुत गंभीर पटना थी। लोगों को जिंदा जला दिया गया। उस समय विपक्ष सत्ता में था और उन्होंने हमें झूठे मामलों में सजा दिलाने की पूरी कोशिश की। उनके प्रयासों के बावजूद, न्यायपालिका ने पूरे घटनाक्रम का विस्तार से विश्लेषण किया। यह 2-2 बार हुआ और हम पूरी तरह निर्दोष पाए गए। मोदी ने कहा कि 1969 के दंगे 6 महीने तक चले थे। तब तो हम दुनिया में थे ही नहीं। मेरे सीएम बनने से बहुत पहले से ही दंगों का लंबा इतिहास है।
मोदी बोले- परिवार ने कभी गरीबी को बोझ नहीं समझा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंटरव्यू में अपने सादे बचपन, पिता के अनुशासन, मां के त्याग और की यादें भी शेयर की।
पीएम मोदी ने बताया कि वे एक कमरे के कच्चे फर्श वाले घर में पले बढ़े। उन्होंने अपने शुरुआत जीवन को संकटों से भरा लेकिन दुखदायी नहीं बताया। उन्होंने कहा कि आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद उनके परिवार ने कभी गरीबी को दोष नहीं दिया।
साझा किया पिता का अनुशासन
अपने पिता दामोदरदास मोदी को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने उनके कठोर परिश्रम और अनुशासन से जुड़े अनुभव बताए। पीएम ने कहा कि उनके पिता हर सुबह करीब 400 या 4:30 बजे घर से निकलते, लंबी दूरी तय करते, कई मंदिरों में जाते, फिर अपनी दुकान पर पहुंचते थे। उनके पिता की पारंपरिक चमड़े की चप्पलें विशेष आवाज करती थीं, जिससे गांव के लोग समय का अनुमान लगा लेते थे। गांव के लोग कहते थे कि हां, दामोदर जा रहे हैं, इतना अनुशासित जीवन था उनका।
जब पहली बार पहने जूते
पीएम मोदी ने बताया कि बचपन में उन्हें और उनके भाई-बहनों को जूतों के बारे में सोचने तक की आदत नहीं थी। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अच्छे जूते पहनने का आदी हो, उसे उनके न होने पर कमी महसूस होगी लेकिन, हमने कभी जूते पहने ही नहीं थे, इसलिए हमें उनकी जरूरत का एहसास ही नहीं था। मोदी ने बताया कि एक दिन उनके चाचा ने उन्हें नंगे पांव स्कूल जाते देखा और 10-12 रुपये के सफेद कैनवास के जूते दिला दिए। लेकिन, उन्हें साफ रखना एक चुनौती थी। स्कूल के बाद, क्लासरूम से बची हुई चाक इकट्ठी करता, उसे पानी में भिगोकर पेस्ट बनाता और अपने जूतों को सफेद चमकाने के लिए उस पेस्ट से पॉलिश करता था।
कपड़े प्रेस करने की अनोखी तकनीक
पीएम मोदी ने बताया कि उनके पास इस्त्री (प्रेस) नहीं थी, लेकिन वह खुद कपड़े प्रेस करने का तरीका निकाल लेते थे। मोदी ने बताया कि वे एक तांबे के बर्तन में पानी गर्म करते, उसे चिमटे से पकड़ते और उससे अपने कपड़े प्रेस करते थे।
संघर्षों भरा बचपन, लेकिन शिकायत नहीं
पीएम मोदी ने कहा कि उनके परिवार ने कभी अपनी परिस्थितियों को लेकर शिकायत नहीं की और न ही दूसरों से तुलना की। मोदी बोले, वे मस्ती में जीते थे, जो भी थोड़ा-बहुत मिलता था, उसमें खुश रहते थे, बस मेहनत करते रहते थे। हमने कभी शिकायत नहीं की। उन्होंने अपनी मां की सेवा भावना को भी याद किया, जो रोज सुबह 5 बजे उठकर जरूरतमंदों की मदद करती थीं और बच्चों का घरेलू उपचार करती थी।