ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने माता-पिता की जिम्मेदारियों पर खुलकर बात की है। इसकी खूब चर्चा हो रही है। हाल ही में उन्होंने 70 घंटे काम करने की वकालत की थी जिस पर बहस छिड़ गई थी लेकिन, बच्चों की परवरिश पर उनके विचारों से सहमत हुए बिना नहीं रहा जा सकता। बेंगलुरु में एक कार्यक्रम में 78 वर्षीय मूर्ति ने कहा कि घर में पढ़ाई का माहौल बनाना माता-पिता का सबसे बड़ा कर्तव्य है।
मूर्ति ने कहा कि जब माता-पिता खुद फिल्म देखने जैसे कामों में बिजी रहते हैं तो वे अपने बच्चों से पढ़ाई में ध्यान लगाने की उम्मीद नहीं कर सकते। उन्होंने कहा, ‘माता-पिता खुद फिल्में देखते हुए बच्चों से पढ़ाई करने को नहीं कह सकते।’
बच्चों के साथ खुद पढ़ते थे नारायण और सुधा मूर्ति
मूर्ति ने बताया कि कैसे उन्होंने और उनकी पत्नी सुधा मूर्ति ने अपने बच्चों अक्षता और रोहन की पढ़ाई को लेकर घर में अनुशासन बनाए रखा। उन्होंने बताया कि जब उनके बच्चे स्कूल में थे, तब वह और उनकी पत्नी रोजाना तीन घंटे से ज्यादा समय उनके साथ पढ़ाई करते थे।
नारायण मूर्ति ने कहा, ‘जब मेरे बच्चे स्कूल में थे तब मैं और मेरी पत्नी रोजाना उनके साथ तीन घंटे से ज्यादा समय पढ़ाई करते थे।’ इस अनुशासित दिनचर्या ने उनके घर में पढ़ाई के प्रति सम्मान पैदा करने में मदद की।
टेलीविजन देखने की सख्त थी मनाही
शाम को 6:30 बजे से 8:30 बजे तक उनका घर पूरी तरह से पढ़ाई के लिए समर्पित होता था। टेलीविजन देखने की सख्त मनाही थी। मूर्ति ने बताया, ‘मेरी पत्नी का तर्क था कि अगर मैं टीवी देख रही हूं, तो मैं अपने बच्चों से पढ़ाई करने के लिए नहीं कह सकती। इसलिए उसने कहा- मैं अपना टीवी देखने का समय कुर्बान कर दूंगी और मैं भी पढ़ाई करूंगी।’
मूर्ति का मानना है कि माता-पिता को बच्चों के लिए उदाहरण बनना चाहिए। बच्चों को पढ़ाई के लिए कहना और खुद मनोरंजन में लगे रहना, बच्चों को गलत संदेश देता है। उन्होंने कहा, ‘अगर माता-पिता खुद फिल्में देखने जा रहे हैं और फिर बच्चों से कह रहे हैं कि ‘नहीं, नहीं, तुम पढ़ाई करो’ तो यह तरीका काम नहीं करेगा।
नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति बिजनेस वुमन और फैशन डिजाइनर हैं। उनका विवाह ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से हुआ है। वहीं, रोहन मूर्ति हार्वर्ड सोसाइटी ऑफ फैलो में जूनियर फेलो हैं।