ब्लिट्ज ब्यूरो
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुंदेलखंड के सात जिलों झांसी, ललितपुर, बांदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर और जालौन के जिलाधिकारियों को नोटिस जारी कर व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि 20 साल तक का जिलाधिकारी जिलाधिकारियों को नोटिस जारी कर व्यक्तिगत हलफनामा मांगा।
कोर्ट ने पूछा, सर्वे कर बताएं कि कितने तालाब मौजूद हैं और कितने गायब हो गए। यह भी बताएं कि तालाबों के गायब होने का कारण क्या है। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की एकलपीठ ने एक जनहित याचिका पर दिया।
याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एक रिपोर्ट में पाया कि बुंदेलखंड में लगभग 4250 तालाब गायब हैं। कोर्ट ने रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका पंजीकृत करने का आदेश दिया। साथ ही अधिवक्ता प्रदीप कुमार सिंह और एससी वर्मा को न्यायमित्र नियुक्त किया।
न्यायमित्र अधिवक्ता ने दलील दी कि चित्रकूट जिले के मऊ तहसील, गांव रामाकोल में तालाब और भीटाघं जमीन चकबंदी में लोगों को आवंटित कर दी गई। इससे बड़ी संख्या में गांवों में तालाब गायब हैं। उन्होंने कोर्ट से जल जीवन मिशन व मनरेगा के तहत बनाए गए तालाबों की अलग से जानकारी मांगनें की प्रार्थना की। इस पर कोर्ट ने सात जिलों के डीएम को नोटिस जारी कर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों का सर्वे करने और गायब व मौजूद तालाबों के संबंध में विस्तृत उजानकारी व्यक्तिगत हलफनामा के साथ प्रस्तुति करने का आदेश दिया। कोर्ट ने अगली तिथि 17 सितंबर नियत की है।