ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली।प्रधानमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि एक ओर हम अपनी पसंद के अनुसार विभिन्न प्रकार के प्रतिबंध जल्दी से लगा देते हैं तो वहीं दूसरी ओर जो देश खुले आम आतंकवाद का समर्थन करते हैं, उन्हें पुरस्कृत किया जाता है। यह दोहरी नीति बंद होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 से 19 जून तक तीन देशों (साइप्रस, कनाडा और क्रोएशिया) की महत्वपूर्ण यात्रा पर गए थे। साइप्रस में जहां पीएम मोदी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III’ से नवाजा गया, वहीं कनाडा के कनानास्किस में संपन्न हुई जी7 देशों की शिखर बैठक में इस समूह को पीएम मोदी उसके दोहरे मानदंडों को त्यागने का संदेश देने में भी सफल रहे। भारत यद्यपि जी7 समूह का औपचारिक सदस्य नहीं है, फिर भी पीएम मोदी को गत कई वर्षों से इसकी शिखर बैठकों में विशेष रूप से आमंत्रित किया जा रहा है। पीएम मोदी ने साइप्रस में सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिलने पर बहुत खुशी जताई। उन्होंने कहा कि यह सम्मान 140 करोड़ भारतवासियों का सम्मान है। यह हमारे देश के भाईचारे और ‘वसुधैव कुटुंबकम ्’ की विचारधारा का सम्मान है। इसको लेकर पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट भी शेयर किया। यहां यह उल्लेख करना भी जरूरी बनता है कि दुनिया में तमाम देशों के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति अपने मित्र देशों की यात्रा करते हैं और उनके साथ संबंध मजबूत करने की कोशिश करते हैं लेकिन जितनी लोकप्रियता दुनिया में पीएम मोदी की है, शायद ही कभी किसी की रही हो।
नरेंद्र मोदी साल 2014 में पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने थे। तब से लेकर अब तक उनको दुनिया के 23 देशों से सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिल चुका है। दुनिया में किसी भी नेता के पास इतने सर्वोच्च नागरिक सम्मान नहीं हैं। पीएम मोदी पहले ऐसे शख्स हैं जिनको इतने ज्यादा नागरिक सम्मान मिले हैं। ये दुनिया के तमाम देशों के साथ भारत के बढ़ते हुए संबंधों को दिखाता है। सर्वोच्च नागरिक सम्मान के मामले में दुनिया के दो सबसे ताकतवर देश अमेरिका और रूस बहुत पीछे हैं। जहां अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अब तक सिर्फ दो नागरिक सम्मान मिले हैं, तो वहीं व्लादिमिर पुतिन को अब तक आठ नागरिक सम्मान से नवाजा गया है। इस अवॉर्ड के मामले में ट्रंप पीएम मोदी से 21 और व्लादिमिर पुतिन 15 अवॉर्ड्स पीछे हैं।
पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा पहलगाम में हुए नरसंहार के बाद भारत द्वारा किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पीएम मोदी की यह पहली अहम विदेश यात्रा थी। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के माध्यम से जिस तरह भारतीय सेना ने चार ही दिनों में पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया और पाकिस्तान युद्धविराम की गुहार लगाने लगा; वह अपूर्व एवं अतुल्य है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने पीएम मोदी के नेतृत्व की दृढ़ता से भी पूरी दुनिया को परिचय करा दिया। साथ ही यह भी सिद्ध कर दिया कि भारत अब हथियारों के मामले में दुनिया पर निर्भर नहीं रहा है। भारत ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक स्तर पर सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल भेजे जिन्होंने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद की सच्चाई पूरी दुनिया को दिखाई। सभी ने पहलगाम में हुई आतंकवादी वारदात की निंदा की लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात यह रही कि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, विश्व बैंक और एडीबी जैसी वैश्विक आर्थिक संस्थाओं ने पाकिस्तान को मदद जारी रखने में इस बात का ध्यान नहीं रखा कि पाकिस्तान आतंकवाद को पालने-पोसने वाला जगजाहिर देश है और वह इस पैसे का इस्तेमाल विकास कार्यों में लगाने के बजाय हथियार खरीदने एवं आतंकवादियों को पालने पर ही खर्च करेगा। पीएम मोदी ने जी7 देशों की शिखर बैठक में दुनिया के इस दोहरे रवैये पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई कि एक ओर वे पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ बोलते हैं तो दूसरी ओर उसे आर्थिक मदद देने में भी गुरेज नहीं करते।
बीती 17 जून को कनाडा में जी7 आउटरीच सत्र में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद, व्यापार और विकास जैसे अहम वैश्विक मुद्दों पर दुनिया के प्रमुख नेताओं के साथ बातचीत की। प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख की पुष्टि करते हुए जी7 देशों के नेताओं को चेताया और उनसे आतंकवाद जैसे बड़े वैश्विक खतरे के खिलाफ एकजुट होकर निर्णायक कार्रवाई की मांग की। उन्होंने इसे ‘‘बढ़ावा देने और समर्थन’’ देने वालों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए हमारी सोच और नीति स्पष्ट होनी चाहिए। यदि कोई देश आतंकवाद का समर्थन करता है, तो उसे इसकी कीमत चुकानी होगी।” उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की कार्रवाई में दोहरा मापदंड नहीं होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि एक ओर हम अपनी पसंद के अनुसार विभिन्न प्रकार के प्रतिबंध जल्दी से लगा देते हैं तो वहीं दूसरी ओर जो देश खुले आम आतंकवाद का समर्थन करते हैं, उन्हें पुरस्कृत किया जाता है। यह दोहरी नीति बंद होनी चाहिए। इसी क्रम में साइप्रस और क्रोएशिया की प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा में तुर्किये और अमेरिका के लिए भी कूटनीतिक संदेश छिपा है जिसने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान की खुले आम मदद की थी।