ब्लिट्ज ब्यूरो
राजकोट। गुजरात में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए सरोगेट गायों का इस्तेमाल किया जाएगा। अमरेली स्थित अमर डेयरी ने एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है जिससे लैब में अच्छी गुणवत्ता वाले बैल के वीर्य और गाय के अंडे का उपयोग कर भ्रूण तैयार किया जाता है। इसके बाद गिर में एक स्वस्थ गाय को भ्रूण स्थानांतरित कर दिया जाता है। इन गायों से पैदा होने वाली नई बछिया भविष्य में अधिक दूध देने में सक्षम होंगी।
गेमचेंजर प्रोजेक्ट की शुरुआत
यह पद्धति बिल्कुल उसी तरह से हैं जैसे कुछ महिलाएं स्वाभाविक रूप से गर्भधारण नहीं कर सकती हैं। वे संतान सुख प्राप्त करने के लिए आमतौर पर इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) और सरोगेसी का सहारा लेती हैं। अमरेली स्थित अमर डेयरी ने एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है जिससे लैब में अच्छी गुणवत्ता वाले बैल के वीर्य और गाय के अंडाणुओं का प्रयोग कर भ्रूण तैयार किया जाता है। इस भ्रूण को बाद में एक स्वस्थ गैर-गिर गाय में स्थानांतरित किया जाएगा। इससे राज्य में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी। दावा है कि सरोगेट गायें गेमचेंजर साबित होंगी।
गिर गाय देती है ज्यादा दूध
अमर डेयरी के प्रबंध निदेशक आर.एस. पटेल के अनुसार गिर गाय डेढ़ साल में बछड़ा पैदा कर सकती है। गिर गाय अन्य गायों की तुलना में अधिक दूध दे सकती है। एक स्वस्थ गिर गाय प्रतिदिन 20-30 लीटर दूध दे सकती है जबकि एक सामान्य गाय एक दिन में 3-5 लीटर दूध देती है। हम कई वर्षों से कृत्रिम गर्भाधान (एआई) पर काम कर रहे हैं लेकिन सफलता दर कम है। इसलिए हमने सरोगेट गाय का एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। यह अवधारणा टेस्ट ट्यूब बेबी के समान है। भ्रूण को लैब में तैयार किया जाता है और रखा जाता है। आठ दिनों के लिए एक इनक्यूबेटर में रखा जाता है, तब तक चयनित गायों को स्थानांतरित कर दिया जाता है।
एक साल में 20-25 बछड़े
पटेल के अनुसार इस प्रोजेक्ट के लिए डेयरी ने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) की तरफ से संचालित गौशालाओं से गिर के सांडों का वीर्य लिया है। सालों से अमरेली और पोरबंदर में गिर गायों का प्रजनन करने वाले चरवाहों से स्वस्थ गिर गायों के अंडे लिए गए हैं। आम तौर पर एक गाय के शरीर में एक महीने में 12-15 अंडकोष बनते हैं। लेकिन अगर वही गाय स्वाभाविक रूप से गर्भ धारण करती है, तो पूरे वर्ष में केवल एक अंडकोष का उपयोग किया जा सकता है। और 12-15 महीनों में केवल एक बछड़ा पैदा हो सकता है। ऐसा दावा है कि इस विधि से अधिक दूध देने वाली गायों के अंडकोष लेकर एक वर्ष में 20-25 बछड़े पैदा किए जा सकते हैं। ये बछिया बड़ी होकर अधिक दूध देने वाली गायें बनेंगी।
90 लाख रुपये का खर्च
भ्रूण तैयार करने की तकनीक के लिए आवश्यक चिकित्सा उपकरण लगाने के लिए अमर डेयरी ने 90 लाख रुपये खर्च किए हैं। इस परियोजना की पूरा खर्च गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ (जीसीएमएमएफ) और केंद्र सरकार की तरफ से उठाया जा रहा है। एनडीडीबी जनवरी 2019 में दो बछड़े पैदा करने में सफल रहा। जिसमें से एक बछड़ा गिर नस्ल का और दूसरा साहीवाल नस्ल का था। इन दोनों बछड़ों का उत्पादन भी आईवीएफ तकनीक से किया गया।