नीलोत्पल आचार्य
1998 में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक छोटे से कमरे में दो छात्र, लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे। इनका सपना था—इंटरनेट पर बढ़ती जानकारी को व्यवस्थित करना और उसे सभी के लिए सुलभ और उपयोगी बनाना। उस समय ये नहीं जानते थे कि उनका ये प्रोजेक्ट एक दिन 21वीं सदी की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक बन जाएगा—जिसे हम आज गूगल के नाम से जानते हैं।
आज, 26 साल बाद, गूगल सिर्फ एक सर्च इंजन नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव दुनिया के हर कोने में दिखाई देता है। आर्थिक विकास से लेकर शिक्षा में बदलाव, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में क्रांति और पर्यावरण संरक्षण तक गूगल ने अपनी गहरी छाप छोड़ी है।
गूगल की शुरुआत और पेज रैंक एल्गोरिदम
1990 के दशक में इंटरनेट तेजी से बढ़ रहा था, लेकिन उस समय के सर्च इंजन इसका सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पा रहे थे। पेज और ब्रिन ने इस चुनौती को समझा और एक नई तकनीक—’ पेज रैंक एल्गोरिदम’ को विकसित किया। यह तकनीक सिर्फ शब्दों की गिनती नहीं करती थी, बल्कि वेबसाइटों के बीच संबंधों को भी देखती थी। इससे लोगों को सबसे प्रासंगिक जानकारी आसानी से मिल जाती थी। यही वजह थी कि गूगल ने जल्दी ही बाकी सर्च इंजनों को पीछे छोड़ दिया।
साल 2000 में, गूगल ने ‘एडवर्ड्स’ पेश किया, जिसने इसे सिर्फ एक सर्च इंजन से एक विज्ञापन कंपनी बना दिया। अब छोटे स्टार्टअप से लेकर बड़े बिज़नेस तक, सभी अपने ग्राहकों तक पहुंचने के लिए गूगल का इस्तेमाल करने लगे।
आर्थिक विकास में गूगल की भूमिका
जैसे-जैसे गूगल का विस्तार हुआ, इसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर पड़ा। ‘गूगल एड्स’ की मदद से छोटे से छोटे व्यवसाय भी अब दुनिया के कोने-कोने तक पहुंच सकते थे। इसने उन्हें बड़े उद्योगों के साथ मुकाबला करने का मौका दिया।
2022 तक गूगल के सर्च और विज्ञापन टूल्स ने 700 अरब डॉलर से भी ज्यादा की वैश्विक आर्थिक गतिविधियां पैदा कीं। इसने छोटे व्यवसायों को ऑनलाइन बढ़ने और नए उद्योगों में कदम रखने का मौका दिया। इसके अलावा, ‘गूगल फार स्टार्ट अप्स’ जैसी पहल ने नए उद्यमियों को भी उनके सपनों को साकार करने में मदद की।
शिक्षा क्रांति लाने में गूगल का योगदान
गूगल का मिशन सिर्फ बिज़नेस तक सीमित नहीं था। इसने शिक्षा के क्षेत्र में भी बड़ा बदलाव लाया। 2004 में, ‘गूगल स्कालर’ आया, जिसने शोध और शिक्षा को हर किसी के लिए सुलभ बना दिया। अब कोई भी दुनिया भर की रिसर्च को आसानी से एक्सेस कर सकता था।
‘गूगल क्लासरूम’
2014 में गूगल ने ‘गूगल क्लासरूम’ लॉन्च किया, जिसने खासतौर पर कोविड -19 के दौरान स्कूलों के बंद होने पर बच्चों की पढ़ाई को जारी रखा। इसके जरिए शिक्षक और छात्र वर्चुअल रूप से पढ़ाई कर सकते थे।
‘ग्रोथ विद गूगल’
गूगल का ‘ग्रोथ विद गूगल’ पहल भी लाखों लोगों को डिजिटल स्किल्स और एआई सिखाने में मदद कर रहा है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां तकनीक की पहुंच कम है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में आगे बढ़ता गूगल
21वीं सदी में गूगल ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर फोकस करना शुरू किया। 2015 में ‘रैंक ब्रेन’ के जरिए इसने मशीन लर्निंग को अपने सर्च एल्गोरिदम में जोड़ा। फिर, ‘बेर्ट’ और ‘मम’ जैसी तकनीकों ने गूगल को और भी स्मार्ट बना दिया, जिससे यह यूजर्स के सवालों को और बेहतर ढंग से समझने लगा। गूगल के एआई-पावर्ड प्रोडक्ट जैसे ‘गूगल असिस्टेंट’ और ‘गूगल लेंस’ ने टेक्नोलॉजी को हमारे रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बना दिया है। अब हम अपनी आवाज या कैमरे से भी खोज कर सकते हैं।
जलवायु परिवर्तन
जलवायु परिवर्तन और गलत जानकारी के बढ़ते मुद्दों को समझते हुए, गूगल ने अपने ऑपरेशन्स को 100 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा पर चलाने की पहल की। 2017 में, गूगल पूरी तरह से 100 प्रतिशत रिनीवेबल एनर्जी पर काम करने वाली पहली बड़ी कंपनी बन गई।
गूगल ने अपने सर्च एल्गोरिदम में बदलाव किया ताकि विश्वसनीय और प्रामाणिक जानकारी ही लोगों तक पहुंचे। गलत जानकारी के खिलाफ इस लड़ाई में गूगल सबसे आगे रहा है। जैसे-जैसे गूगल अपनी 26वीं सालगिरह मना रहा है, यह साफ है कि यह भविष्य में भी नई ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार है। चाहे वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हो या पर्यावरण संरक्षण, गूगल का मिशन एक ही है—दुनिया को एक बेहतर और ज्यादा कनेक्टेड जगह बनाना। गूगल की यह यात्रा नवाचार, शिक्षा और तकनीक के क्षेत्र में अनगिनत अवसरों को लेकर आगे बढ़ रही है, और यह सफर यहीं नहीं रुकेगा। तो ये थी गूगल की 26 साल की अद्भुत यात्रा—एक ऐसी कंपनी जो न सिर्फ तकनीक में, बल्कि हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में भी अपनी जगह बना चुकी है।