ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली।सरकार ने कहा है कि गर्भाशय ग्रीवा कैंसर की जांच के लिए स्वदेशी रूप से विकसित ‘एचपीवी डायग्नोस्टिक किट’ तैयार है और यह भारतीय महिलाओं में दूसरे सबसे आम कैंसर की जांच के लिए किफायती तरीका साबित होगा। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) परीक्षण किट के सत्यापन के निष्कर्षों को साझा करने के लिए आयोजित बैठक में गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के लिए व्यापक जांच कार्यक्रम शुरू करने को लेकर निजी क्षेत्र की अधिक भागीदारी का आह्वान किया।
हर पांच में से एक महिला मरीज भारतीय
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में गर्भाशय ग्रीवा कैंसर से पीड़ित हर पांच में से एक महिला भारतीय है। बीमारी का देर से पता लगने से बचने की संभावना कम हो जाती है। गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के कारण होने वाली वैश्विक मृत्यु दर में से 25 प्रतिशत भारत में होती है। सिंह ने कहा, गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के 90 प्रतिशत से अधिक मामले एचपीवी से जुड़े हैं, जिनमें से 70 प्रतिशत मामले युवतियों को प्रभावित करते हैं। किफायती टीके, जांच और देखभाल सुनिश्चित करना हमारी राष्ट्रीय जिम्मेदारी है। समीक्षा बैठक में उन्होंने कहा, इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य किफायती व बड़े पैमाने पर जांच से ही पूरा होगा। यह तभी संभव है जब बड़े पैमाने पर निजी क्षेत्र की भागीदारी हो। एचपीवी परीक्षण किट जैव प्रौद्योगिकी विभाग, जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बाइरैक), अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)- नयी दिल्ली, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ ही उद्योग के भागीदारों द्वारा विकसित की गई है।
आतंकी हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि
कार्यक्रम के आरंभ में समीक्षा बैठक के प्रतिभागियों ने पहलगाम में आतंकवादी हमले में हुई मौतों पर शोक व्यक्त करने के लिए दो मिनट का मौन रखा। जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने बाइरैक में ‘ग्रैड चैलेंजेज इंडिया’ (जीसीआई) के साथ अपनी साझेदारी के माध्यम से ‘भारत में गर्भाशय ग्रीवा कैंसर की जांच के लिए ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) के स्वदेशी परीक्षणों को सत्यापित करने’ के कार्यक्रम का समर्थन किया है।