निशा सिंह
नई दिल्ली।हर यात्रा की शुरुआत होती है कभी संयोग से तो कभी संकल्प से लेकिन जब किसी कलाकार की यात्रा जुनून और समर्पण से हो तो वह प्रेरणा बन जाती है। ऐसी ही प्रेरणादायी शख्सियत हैं अभिनेत्री मधुरिमा तुली। एक खिलाड़ी से ‘मिस उत्तरांचल’ और फिर हिंदी सिनेमा की चमकदार दुनिया तक का उनका सफर केवल रोशनी और शोहरत तक की कहानी नहीं है, बल्कि यह संघर्ष आत्मविश्वास और पारिवारिक मूल्यों से जुड़ा एक ऐसा सफर है, जो हर युवा कलाकारों के लिए प्रेरणा है। ‘खेलो इंडिया’ में विशेष अतिथि के रूप में मुम्बई से दिल्ली शिरकत करने आयीं अभिनेत्री मधुरिमा तुली ने बातचीत के दौरान न सिर्फ अपने फिल्मी सफर को साझा किया बल्कि अपनी वास्तविक पहचान चुनौतियों, भावनाओं और सामाजिक जिम्मेदारियों पर भी खुलकर बात की। मधुरिमा कलाकार के साथ-साथ एक कुशल एथलीट भी रही हैं। उनकी सोच यही तक सीमित नहीं हैं। उनके भीतर राजनीति को लेकर भी एक चेतना है वे सिर्फ रोल निभाने को नहीं, देश को दिशा देने की इच्छा भी रखती हैं। उनके साथ बातचीत के कुछ अंशः
ब्लिट्ज : आपने फिल्मों में आने का फैसला कब और कैसे लिया ?
मधुरिमा : यह सब एक खूबसूरत संयोग की तरह शुरू हुआ। 90 के दशक की बात है, उस समय मेरे पापा प्रवीण तुली उड़ीसा में टाटा स्टील में एजीएम के पद पर कार्यरत थे। 25 वर्षों की सफल नौकरी के बाद उन्होंने अर्ली रिटायरमेंट ले लिया और हम-सब देहरादून शिफ्ट हो गए। यही 2003 में ‘मिस्टर एंड मिस उत्तरांचल’ प्रतियोगिता हुई, जिसमें मैंने भाग लिया और सौभाग्य से मुझे ‘मिस उत्तरांचल’ का खिताब मिला। यहीं से पहली बार यह एहसास हुआ कि मेरी असली रूचि एक्टिंग, डांसिंग और माडलिंग में है। मैंने अपनी मम्मी-पापा से मुम्बई जाकर अभिनय के क्षेत्र में कदम रखने की इच्छा जताई। उन्होंने मेरे सपने को अपना बनाया और हम-सब मुम्बई शिफ्ट हो गए। मुम्बई आकर मैंने एक्टिंग कोर्स किया और यहीं से मेरी फिल्मी यात्रा की शुरुआत हुई। यह सफर आसान नहीं था, लेकिन जब जुनून सच्चा हो, तो रास्ते खुद-ब-खुद बनते जाते हैं।
ब्लिट्ज : जब आप किसी फिल्म या धारावाहिक के लिए रोल चुनती है, तो किन बातों का विशेष ध्यान रखती हैं ?
मधुरिमा : सबसे पहले मैं यह देखती हूं कि मेरा किरदार कहानी में क्या है और कितना महत्वपूर्ण है फिर स्क्रिप्ट कितनी सशक्त है, निर्देशक और प्रोड्यूसर कौन है। साथ ही को-एक्टर पर भी विशेष ध्यान देती हूं।
ब्लिट्ज : आपकी पहली फिल्म और उससे जुड़ा अनुभव कैसा रहा ?
मधुरिमा: मेरी पहली फिल्म दुर्भाग्यवश रिलीज नहीं हो पाई और यह मेरे लिए एक भावनात्मक झटका था। लेकिन मैंने हार नहीं मानी। इसके बाद मुझे ‘वार्निंग’ फिल्म में काम करने का अवसर मिला, जिसके निर्देशक गुरूमीत और प्रोड्यूसर अनुभव सिन्हा थे। इस फिल्म के शूटिंग के दौरान हम लोगों ने खूब मस्ती की। यह फिल्म मेरे करियर का अहम मोड़ बनीं। इसके बाद मुझे ‘बेबी’ जैसी बड़ी फिल्म में काम करने का अवसर मिला, जिसमें मैंने अक्षय कुमार की पत्नी की भूमिका निभाई। यह फिल्म मेरे लिए एक सपने के पूरे होने जैसा था। इस फिल्म में काम करके न केवल मुझे खुशी मिली, बल्कि ऐसा लगा कि मेरी मेहनत रंग लाई।
ब्लिट्ज : स्टार बनने के बाद आपकी जिंदगी में क्या बदलाव आए ?
मधुरिमा : स्टार बनने के बाद बस कुछ चीजें सीमित हो गई ं। पहले बिना सोचे-समझे कहीं भी निकल जाते थे, अब थोड़ा सतर्क रहना पड़ता है लेकिन जब लोग पहचानते हैं, सराहते हैं, तो अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि अगर संतुलित और सामान्य जीवन जीते हैं, तो स्टारडम भी आपको जमीन से जोड़े रखता है।
ब्लिट्ज : क्या आपको लगता है कि फिल्में समाज को बदलने की ताकत रखती है ं ?
मधुरिमा : बिल्कुल, फिल्मों में समाज को बदलने की अद्भुत ताकत होती है। आजकल ‘नारी प्रधान’ फिल्में बन रही है। फिल्मों ने ग्रामीण महिलाओं को जागरूक किया है, जिन्हें पहले यह भी नहीं पता था कि टायलेट क्या होता है, आज वे अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा रही हैं। महिलाओं में आत्मनिर्भरता और बदलाव की जो चेतना आई है, उसमें सिनेमा की बड़ी भूमिका है।
ब्लिट्ज : सोशल मीडिया पर आपकी छवि और वास्तविक जीवन में कितना अंतर है?
मधुरिमा : हंसते हुए, दरअसल बहुत ज्यादा फर्क नहीं है। मैं अपना सोशल मीडिया खुद हैंडल करती हूं इसलिए वहां वहीं नजर आता है जो मैं वास्तव में हूं। करियर की शुरुआत में, जब मैं काफी यंग थी, तो बिना सोचे समझे पोस्ट कर देती थी, एंजायटी से बचने के लिए अब मैं केवल अपने काम से जुड़ी बातें या अपनी यात्राओं की झलकियां ही साझा करतीं हूं। दिखावा मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है इसलिए सोशल मीडिया पर वहीं दिखाती हूं जो मैं असल में हूं।
ब्लिट्ज : इंडस्ट्री में आपके सामने सबसे बड़ी चुनौती क्या थीं ?
मधुरिमा : जब मैंने अभिनय की दुनिया में कदम रखा, तो चुनौतियां हर मोड़ पर थीं और सच कहूं तो अब भी है। ये एक ऐसी यात्रा है जिसमें धैर्य, समर्पण और जुनून की परीक्षा हर दिन होती है। कई बार ऑडिशन के बाद उम्मीद बंधती थी, लेकिन आखिरी वक्त पर रोल किसी और को मिल जाता था, उस समय बहुत निराशा होती थी। मैंने खुद से वादा किया था कि मैं हार नहीं मानूंगी, लेकिन जब भी कमजोर पड़ी, मेरी फैमिली मेरा सबसे बड़ा सहारा बनी। पर भगवान का आशीर्वाद है कि धीरे-धीरे ही सही पर काम मिलता रहा और पहचान बनती गईं। मैंने सिर्फ फिल्मों में ही नहीं, बल्कि कई टीवी धारावाहिकों और रियलिटी शोज में भी काम किया। कयामत की रात, फिक्शन ड्रामा, चंद्रकांता,नच बलिए और बिग बॉस जैसे अनगिनत शोज में काम कर मैंने हर भूमिका को अपनी पूरी ईमानदारी और जुनून के साथ निभाया।
ब्लिट्ज : अपने फैंस से जुड़ा कोई वाक्या जो आपके दिल को छू गया हो ?
मधुरिमा : ऐसे कई वाक्ये है जो दिल को छू जाते हैं। कभी-कभी जब सुबह-सुबह मन थोड़ा उदास होता है और आप यूं ही मोबाइल उठाकर देखते हैं, तो फैंस आपके लिए एक खूबसूरत पोस्ट डाल चुका होता है। उस पल जो मुस्कान चेहरे पर आती है, वो शब्दों में बयां नहीं की जा सकती। ऐसे निःस्वार्थ प्यार बहुत कम देखने को मिलता है इससे आत्मबल बढ़ता है।
ब्लिट्ज : क्या आपकी कोई गिल्टी प्लेजर फिल्म रहीं हैं ?
मधुरिमा : हां, मेरी फिल्म ‘वार्निंग’ बाॅक्स ऑफिस पर भले ही फ्लाप रही हो, लेकिन मुझे आज भी ये फिल्म बेहद इंटरटेनिंग लगतीं हैं इस फिल्म से मेरी कई यादें जुड़ी हैं। शूटिंग के दौरान हमलोगों ने खूब मस्ती की थीं।
ब्लिट्ज : किस अभिनेता या अभिनेत्री के साथ काम करने की ख़्वाहिश है ?
मधुरिमा : हंसते हुए, लिस्ट तो लम्बी है! लेकिन खासतौर पर अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, रितिक रोशन, माधुरी दीक्षित, करीना कपूर, सुष्मिता सेन जैसी दिग्गजों के साथ काम करने की ख़्वाहिश है। ये सभी अपने दमदार अभिनय और प्रेरणादायक शख्सियत के लिए जाने जाते हैं।
ब्लिट्ज : आपकी जिंदगी में सबसे बड़ा प्रेरणास्रोत कौन है ?
मधुरिमा : निश्चित तौर पर मेरे माता-पिता। जब मैंने अपने माता-पिता से अभिनय की दुनिया में कदम रखने की इच्छा जताई तों उन्होंने बिना किसी संकोच के मुंबई जैसे विशाल नगरी में मुझे किस्मत आजमाने की हिम्मत दी। मेरी मां जो स्वयं एक माउंटेनियर रही हैं, उन्होंने न केवल मुझे आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि जीवन की ऊंचाइयों से रू-ब-रू कराने के लिए मुझे माउंटेनियरिंग का कोर्स भी कराया। उन्होंने मेरी हर इच्छाएं पूरी की।
ब्लिट्ज : कैमरे के पीछे आप कैसी हैं, गंभीर मस्त-मौला या शरारती ?
मधुरिमा : कैमरे के पीछे मैं एक मिक्सचर हूं, कभी गंभीर तो कभी मस्तमौला। बचपन में मैं काफी शांत थी, लेकिन अब चुलबुली हूं। जिंदगी को पूरे दिल से जीने वाली, एकदम ‘चिल्ड आउट’।
ब्लिट्ज : अगर आपको कुछ और बनने का मौका मिले तो आप क्या बनना चाहेंगी ?
मधुरिमा : अगर मुझे कोई और बनने का मौका मिले, तो मैं बिना किसी झिझक के देश की प्रधानमंत्री बनना चाहूंगी और देश को एक नई दिशा देना चाहूंगी।
ब्लिट्ज : एक्टिंग के अलावा और कौन-कौन से काम करने की इच्छा है ?
मधुरिमा : मेरे भाई श्रीकांत ने मुम्बई में एक प्रोडक्शन हाउस की शुरुआत की है, मैं उनके साथ प्रोडक्शन करना चाहूंगी। इसके साथ ही अगर मौका मिलेगा तो मैं निश्चित तौर पर निर्देशन के क्षेत्र में भी किस्मत आजमाऊंगी।
ब्लिट्ज : एक युवा कलाकार होने के नाते, आप आज के युवा कलाकारों को क्या सलाह देना चाहेंगी ?
मधुरिमा : सभी युवा कलाकारों को मैं सलाह देना चाहूंगी कि आप हमेशा अपने मकसद को याद रखें। मुश्किलें भी आएंगी, निराशा भी घेर सकती है, लेकिन यही वक्त है जब आपको अपने सपनों को थामें रहना है। अपने काम पर पूरा फोकस बनाए रखें, साथ ही अपने परिवार से जुड़े रहें क्योंकि निराशा के वक्त परिवार बहुत बड़ा सहारा होता है। हर दिन खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करें। घूमें फिरें खूब मस्ती करें पर, अपनी मंजिल से न भटकें। बिना मेहनत कुछ भी हासिल नहीं होता, इसलिए खूब मेहनत करें।