ब्लिट्ज ब्यूरो
लखनऊ। राष्ट्रीय वायु स्वच्छता कार्यक्रम (एनसीएपी) की रिपोर्ट कहती है कि मिलियन प्लस शहरों में लखनऊ, कानपुर, आगरा, मेरठ, वाराणसी और प्रयागराज खराब एयर क्वॉलिटी से जूझ रहे हैं। नॉन मिलियन प्लस शहरों में गोरखपुर, बरेली, रायबरेली, मुरादाबाद, खुर्जा, फिरोजाबाद झांसी के सामने भी एयर क्वॉलिटी की चुनौतियां हैं। इनका सामना करने और शहरों के ‘फेफड़ों’ को स्वस्थ बनाने के लिए सरकार अर्बन ग्रीन पॉलिसी लागू कर रही है। नीति कहती है कि मानकों के तहत निकाय ‘अल्टीमेट ग्रीन सिटी’ बन गए तो एयर कंडीशन (एसी) का खर्च आधा होगा।
नगर विकास विभाग ने सरकारी, सामुदायिक और व्यक्तिगत सहभागिता के समन्वय से शहरों के आवरण को हरा-भरा बनाने की कवायद शुरू की है। इसे अमलीजामा पहनाने के लिए अर्बन ग्रीन पॉलिसी को मंजूरी दी गई है। विभाग ने इसकी कार्ययोजना और लक्ष्य तय कर निकायों व संबंधित विभागों को भेज दिए हैं।
नौ विभाग मिलकर करेंगे काम
योजना को प्रभावी बनाने के लिए निकाय, कैंपस और बिल्डिंग, तीनों ही स्तर पर अलग-अलग रणनीति लागू की जाएगी। पर्यावरण में सुधार, ग्रीन बेल्ट में बढ़ोतरी और विकास के संतुलन के लिए नियमन व जागरूकता दोनों ही पक्षों पर काम किया जाएगा। इसलिए नगर विकास विभाग सहित नौ विभाग मिलकर काम करेंगे। इसमें सिटी ट्रांसपोर्ट, आवास व शहरी नियोजन, शिक्षा, पर्यावरण व वन विभाग, उद्यान, लोक निर्माण, एनएचएआई, कैंटोनमेंट व नियोजन विभाग शामिल हैं। साझा कार्ययोजना पर सब एक साथ काम करेंगे और बेहतर समन्वय के लिए कमेटी भी बनाई जाएगी।
पहले संसाधन व पर्यावरण की सेहत परखेंगे
शहरी निकायों को ग्रीन रेटिंग के अलग-अलग मानकों को हासिल करने के लिए काम शुरू करने से पहले हर निकाय के संसाधन व पर्यावरण के सेहत की परख की जाएगी। सबसे पहले ग्रीन एरिया का सर्वे होगा। लैंड मैपिंग के साथ पार्कों से लेकर सड़कों तक के किनारे लगे पौधों के स्वास्थ्य का भी आकलन किया जाएगा। जैव विविधता का डॉक्युमेंटेशन होगा। इसके बाद शहरी क्षेत्रों में हॉटस्पॉट का चयन किया जाएगा। इसका वर्गीकरण सर्वाधिक प्रदूषण वाले क्षेत्र, घनी आबादी वाले एरिया और न्यूनतम ग्रीन एरिया वाली जगहों के तौर पर होगा। मिट्टी कटान वाले क्षेत्र भी चिह्नित करने के लिए जियोग्राफिक इनफार्मेशन सिस्टम, सेटलाइट इमेज एंड ग्राउंड सर्वे तीनों का उपयोग किया जाएगा। अधिक तापमान वाले क्षेत्रों को हीट आइलैंड के तौर पर चिह्नित किया जाएगा।
सड़क से छत तक ग्रीन बेल्ट पर ज़ोर
सभी निकायों को ग्रीन रेटिंग की कवायद में शामिल करने के लिए बेसलाइन सर्वे के बाद सभी स्टॉक होल्डर्स की पहचान की जाएगी। निकाय स्तर पर अर्बन फॉरेस्ट विकसित करने के साथ ही पॉर्क, गार्डन को गोद लेकर उसका विकास किया जाएगा।



























