ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन जंग के बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ओर से एक बड़ा बयान सामने आया है। पुतिन ने कहा है कि यूक्रेन के साथ रूस की संभावित शांति वार्ता में भारत, चीन और ब्राजील मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं। रूस के राष्ट्रपति का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब पीएम मोदी ने हाल ही में यूक्रेन और उससे पहले रूस का दौरा किया था। पीएम मोदी के इन दोनों विदेशी दौरों की काफी चर्चा रही। दोनों यात्राएं काफी महत्वपू्र्ण थीं और दुनिया भर में इसकी काफी चर्चा हुई। विदेशी मामलों के जानकारों का कहना है कि पुतिन की ओर से यह बयान ऐसे ही नहीं आया है।
भारत पर विश्वास कहीं अधिक
जिन देशों का नाम पुतिन की ओर से लिया गया है, उनमें भारत पर विश्वास कहीं अधिक है। इसके पीछे कई कारण भी हैं। अमेरिका समेत कई दूसरे देश ऐसे हैं जो चीन पर शायद उतना भरोसा नहीं कर सकते। साथ ही प्रधानमंत्री का दोनों देशों में जाना और अपने स्टैंड पर कायम रहना काफी कुछ दर्शाता है।
पीएम मोदी के दौरे से कनेक्शन
जुलाई में रूस का दौरा, अगस्त में यूक्रेन और अब सितंबर के महीने में रूस के राष्ट्रपति की ओर से यह बयान सामने आया है। जब से रूस -यूक्रेन के बीच जंग छिड़ी है, उस वक्त से ही भारत का स्टैंड नहीं बदला है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कई बार यह कह चुके हैं कि भारत विस्तारवाद की नहीं बल्कि विकास की नीति का समर्थन करता है। यूक्रेन समेत दुनिया के कई देश इस बात को कह चुके हैं कि भारत इस जंग को रुकवाने में अहम भूमिका निभा सकता है। अब यही बात रूस भी कह रहा है। पीएम मोदी मध्यस्थता की भूमिका निभा सकते हैं और यह जंग अब आगे न बढ़े इसके प्रयास उनकी ओर से किए गए।
मोदी ने अनुभव साझा किया
इस दौरे से पीएम मोदी ने क्या अनुभव किया, इसको उन्होंने साझा भी किया। इससे उम्मीद और भी बढ़ जाती है। अगस्त महीने में यूक्रेन की यात्रा से लौटने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात की। उन्होंने यूक्रेन यात्रा से प्राप्त अनुभवों को साझा किया और यूक्रेन के साथ संघर्ष के शीघ्र, स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन को अपनी यूक्रेन यात्रा के बारे में जानकारी दी थी और बातचीत, कूटनीति के जरिए क्षेत्र में जल्द शांति बहाल करने के लिए भारत का पूरा समर्थन जताया था। अमेरिका यूक्रेन के साथ खड़ा है और तो दूसरी ओर रूस। अमेरिका की शुरू में कोशिश रही कि भारत उसके साथ आए। यहां तक कि मोदी जब तीसरे कार्यकाल में जंग के बाद पहली बार रूस पहुंचे तो कई पश्चिमी देशों ने सवाल भी किए लेकिन भारत का स्टैंड नहीं बदला। भारत ने जंग की आलोचना की।
जेलेंस्की को भी भारत पर भरोसा
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने भी कहा है कि भारत उनके देश और रूस के बीच युद्ध समाप्त कराने के वैश्विक कूटनीतिक प्रयासों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जब मोदी यूक्रेन की यात्रा पर थे तब द्विपक्षीय वार्ता के बाद भारतीय मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए जेलेंस्की ने कहा कि मोदी की यात्रा ऐतिहासिक है। मोदी की यूक्रेन की यात्रा,1991 में यूक्रेन की स्वतंत्रता के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी। यह यात्रा, जुलाई में मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर वार्ता के छह सप्ताह बाद हुई थी। मोदी ने पहले जेलेंस्की से कहा कि यूक्रेन और रूस दोनों को युद्ध समाप्त करने के तरीके खोजने के लिए बिना समय बर्बाद किए एक साथ बैठना चाहिए। मोदी ने कहा कि भारत फरवरी 2022 में युद्ध की शुरुआत से ही शांति के पक्ष में रहा है।
हम स्वागत करेंगे
अमेरिका के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा संचार सलाहकार जॉन किर्बी ने कहा है कि अमेरिका ऐसे किसी भी देश का स्वागत करता है जो यूक्रेन में संघर्ष को समाप्त करने में मदद करने का प्रयास करना चाहता है। किर्बी से यह पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि भारत युद्ध को समाप्त करने में भूमिका निभा सकता है। ऐसा कोई भी देश जो इस युद्ध को समाप्त करने में मदद करने के लिए तैयार है और राष्ट्रपति जेलेंस्की के विशेषाधिकारों, यूक्रेनी लोगों के विशेषाधिकारों, न्यायपूर्ण शांति स्थापना की उनकी योजना को ध्यान में रखते हुए ऐसा करता है, हम उसकी भूमिका का निश्चित ही स्वागत करेंगे।
– भारत, चीन और ब्राजील निभा सकते हैं मध्यस्थ की भूमिका