आस्था भट्टाचार्य
नई दिल्ली। इसरो ने अंतरिक्ष में एक अविश्वसनीय उपलब्धि हासिल की है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग – स्पैडेक्स की सफल अनडॉकिंग की पुष्टि की। इससे चंद्रयान-4 और अन्य जैसे भविष्य के मिशनों के लिए मंच तैयार हो गया। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी।
केंद्रीय मंत्री ने लिखा, स्पैडेक्स उपग्रहों की यह सफल डी-डॉकिंग भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं के लिए एक बड़ी छलांग है। इसरो के स्पैडेक्स उपग्रहों ने अविश्वसनीय डी-डॉकिंग को पूरा किया। इससे भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन, चंद्रयान 4 और गगनयान सहित भविष्य के महत्वाकांक्षी मिशनों के सुचारू संचालन की राह खुल गई है।
ऐसे पूरी हुई प्रक्रिया
एक्स पर एक पोस्ट में, इसरो ने उन घटनाओं के अनुक्रम के बारे में विस्तार से बताया, जिनके कारण यह प्रयोग सफल हुआ। इसमें एसडीएक्स-2 का विस्तार, कैप्चर लीवर 3 को योजनानुसार जारी किया जाना, एसडीएक्स-2 में कैप्चर लीवर को हटाना और दोनों उपग्रहों के लिए डी-कैप्चर कमांड जारी करना शामिल है।
इसरो की तरफ से स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट मिशन को 30 दिसंबर, 2024 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था। दो उपग्रह एसडीएक्स 01 और एसडीएक्स02, जिन्हें चेजर और टारगेट के नाम से भी जाना जाता है, 16 जनवरी को डॉक किए गए थे। संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत सफल अंतरिक्ष डॉकिंग की उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बना था।
इससे पहले इसरो के अध्यक्ष वी नारायणन ने बताया था कि अंतरिक्ष डॉकिंग मिशन के साथ आगे के प्रयोग 15 मार्च से शुरु किए गए हैं।
नारायणन का कहना था कि हमने एक योजना तैयार कर ली है और 15 मार्च से वास्तविक प्रयोग शुरू कर रहे हैं। नारायणन के अनुसार वर्तमान में एकीकृत उपग्रह एक अंडाकार कक्षा में है। इसलिए, हमें विभिन्न प्रयोगों के संचालन के लिए दो महीने में एक बार 10-15 दिन का समय मिलता है।