ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारत अब अपने लड़ाकू विमानों के इंजन निर्माण को लेकर नई दिशा में अहम कदम उठाने जा रहा है। रक्षा मंत्रालय के शीर्ष सूत्रों ने बताया कि भारत फ्रांस की एयरोस्पेस और डिफेंस कंपनी सफ्रान के साथ पार्टनरशिप के विकल्प पर विचार कर रहा है। इस साझेदारी का उद्देश्य भारतीय वायुसेना के लिए आधुनिक इंजन तैयार करना और तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) एमके-2 जैसे अगली पीढ़ी के स्वदेशी लड़ाकू विमानों के लिए इंजन डेवलप करना है।
फिलहाल अमेरिकी रक्षा कंपनी जीई एयरोस्पेस तेजस एमके-1 फाइटर जेट के लिए एफ404-आईएन20 इंजन की सप्लाई कर रही है, लेकिन सप्लाई में देरी के चलते भारतीय वायुसेना की प्लानिंग पर असर पड़ रहा। ऐसे में भारत अब तेज रफ्तार से स्वदेशी प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए सभी संभावनाओं पर विचार कर रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, भारत को वर्तमान सुरक्षा स्थिति और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद तेजी से लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में दोहराया कि अगर भारतीय सीमा पर कोई आतंकी हमला होता है, तो उसका जवाब कड़ा होगा चाहे हमलावर स्टेट हो या नॉन-स्टेट एलिमेंट्स।
भारतीय वायुसेना का लक्ष्य 42 स्क्वाड्रन का है, जबकि फिलहाल सिर्फ 31 स्क्वाड्रन ही उपलब्ध हैं। एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने फरवरी में बेंगलुरु में हुए एयरो इंडिया 2025 शो में तेजस एमके-1 की डिलीवरी में हो रही देरी पर चिंता जताई थी। इसके जवाब में एचएएल ने कहा था कि देरी तकनीकी कारणों से हो रही है और जल्द समाधान किया जाएगा।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत विदेशी सप्लायर्स पर निर्भरता को लेकर सतर्क हो गया है। डिवाइस की सप्लाई, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और भरोसेमंद पार्टनर की जरूरत को देखते हुए भारत अब सफ्रान जैसी कंपनियों के साथ मिलकर स्वदेशी इंजन डेवलप करने को रफ्तार देना चाहता है। एक वरिष्ठ रक्षा सूत्र ने कहा, भारत अब हर संभव विकल्प की तलाश में है।
तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट की कहानी
भारतीय वायुसेना के तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट प्रोग्राम की शुरुआत 2009-10 में हुई थी, जब पहली बार तेजस एमके-1 की 40 यूनिट्स (32 फाइटर और 8 ट्रेनर) का ऑर्डर दिया गया। यह विमान 2016 तक मिलने थे। इसके बाद फरवरी 2021 में रक्षा मंत्रालय और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के बीच 48,000 करोड़ रुपए की डील के तहत 83 और तेजस एमके-1ए (73 फाइटर और 10 ट्रेनर) का दूसरा ऑर्डर दिया गया।
इस बैच की डिलीवरी 2024 के मध्य से शुरू होनी थी, लेकिन इसमें देरी हो रही है। इसका एक बड़ा कारण अमेरिकी कंपनी जीई एयरोस्पेस की ओर से एफ404-आईएन20 इंजन की सप्लाई में हुई देरी है। शुरुआती बातचीत में इस डील में 80 प्रतिशत तक टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का प्रस्ताव भी शामिल था। मार्च में जीई ने जानकारी दी कि उसने 2021 के ऑर्डर के लिए एचएएल को 99 एफ404-आईएन20 इंजन सौंप दिया है। इससे पहले जीई 2016 तक एमके-1 वर्जन के लिए 65 इंजन दे चुका है। जीई का एक और इंजन एफ414-जीई-आईएन एस6 – तेजस एमके-2 और भविष्य के पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एएमसीए के लिए चुना गया है।
अब भारत फ्रांस की सैफ्रान कंपनी के साथ साझेदारी की संभावना तलाश रहा है, जिससे तेजस एमके-2 के लिए इंजन तैयार किए जा सकें। रक्षा सूत्रों के मुताबिक, हाल के भारत-पाक तनाव के बाद भारत को बड़ी संख्या में लड़ाकू विमान इंजन की जरूरत है। ऐसे में वैकल्पिक सप्लायर्स की तलाश जारी है, ताकि डिफेंस प्रोडक्शन में आत्मनिर्भरता बढ़ाई जा सके। तेजस एमके-2 एक 4.5 जेनरेशन फाइटर जेट होगा, जिसका वजन लगभग 17.5 टन होगा। इसे वायुसेना के पुराने फाइटर जैसे मिराज-2000, जैगुआर और मिग-29 की जगह तैनात किया जाएगा।