ब्लिट्ज ब्यूरो
प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एमबीबीएस कोर्स के छात्रों की ट्यूशन फीस बढ़ाने संबंधी 5 जुलाई की अधिसूचना पर रोक लगा दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने हापुड़ के जीएस मेडिकल कालेज की छात्रा आन्या परवाल और 239 अन्य विद्यार्थियों की याचिका पर दिया।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को तय की है और तब तक अधिसूचना को निलंबित रखा है। मामले में राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है।
अधिसूचना के अनुसार, शैक्षणिक सत्र 2024-25 से एमबीबीएस की ट्यूशन फीस ₹11,78,892 से बढ़ाकर ₹14,14,670 कर दी गई थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता निपुण सिंह ने दलील दी कि यह वृद्धि मनमानी और बिना पर्याप्त विचार के की गई है।
उन्होंने बताया कि मौजूदा सत्र में यह दूसरी बार फीस बढ़ाई गई है, जबकि छात्र पहले ही अन्य विविध शुल्क जमा कर चुके हैं। साथ ही, यह भी तर्क दिया गया कि छात्रों को प्रवेश कालेज के ब्रोशर में दी गई फीस संरचना के आधार पर दिया गया था, ऐसे में अचानक वृद्धि से अभिभावकों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा।
दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश राज्य सरकार और निजी संस्थान की ओर से रिट याचिका का विरोध किया गया। उनका कहना था कि शुल्क वृद्धि यूपी प्राइवेट प्रोफेशनल एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस (रेगुलेशन आफ एडमिशन एंड फिक्सेशन आफ फीस) एक्ट, 2006 के प्रावधानों के तहत की गई है।































