ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। पाकिस्तान का बलूचिस्तान प्रांत पाक सेना और सरकार के खिलाफ विद्रोह का केंद्र बना हुआ है। 26 अगस्त को बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के लोगों ने 23 पंजाबियों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। एक तरफ बीएलए हिंसा का रुख अपना रहा है तो दूसरी तरफ डॉ. महरंग बलोच हैं जो बलूचिस्तान के लोगों के लिए एक दशक से गांधीवादी तरीके से लड़ रही हैं। पाक के सबसे रूढ़िवादी बलूचिस्तान की महिला होते हुए भी वे बलूच लोगों को एकजुट करने के साथ महिलाओं को भी सड़क पर उतरने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। साथ ही पाकिस्तानी सेना और सरकार को चुनौती पेश कर रही हैं।
पाक सेना और सरकार के दमन के खिलाफ आवाज
महरंग बलोच (31) पेशे से डॉक्टर हैं। वे बलूचिस्तान में पाक सेना और सरकार के दमन के खिलाफ आवाज उठाती रही हैं। वे 2006 से अपने लोगों के अपहरण का विरोध कर रही हैं, तीस साल पहले उनके पिता (राजनीतिक कार्यकर्ता) लापता हो गए थे। 2011 में उनका शव क्षत-विक्षत अवस्था में मिला था।
भाई के लापता होने के बाद अभियान शुरू किया
2017 में उनके भाई के लापता होने से उन्हें अभियान शुरू करने की प्रेरणा मिली। हालांकि उनके भाई को तो 2018 में वापस कर दिया गया, लेकिन महरंग ने धमकियों और विरोध का सामना करने के बावजूद गायब हुए सभी लोगों को न्याय दिलाने के लिए अभियान चलाना जारी रखा।
बलूच यकजेहती समिति की स्थापना
2019 में उन्होंने बलूच यकजेहती समिति (बीवायसी) की स्थापना की। महरंग कहती हैं, ‘बचपन में मुझे लगता था कि बुढ़ापे में मौत एक स्वाभाविक बदलाव है। मुझे मौत से डर लगता था। मैं अंतिम संस्कार से घबराती थी। पहली बार मैंने शव तब देखा, जब मुझे मुर्दाघर में पिता की क्षत-विक्षत लाश की पहचान के लिए मजबूर किया गया। उनका कहना है कि बीते डेढ़ दशक में करीबी लोगों के दर्जनों शव देखे हैं; अब मौत मुझे डराती नहीं है।
दो दशक में 50 हजार से ज्यादा बलूचों का अपहरण
दो दशक में 50 हजार से ज्यादा बलूचों का अपहरण किया गया है और 25 हजार लोगों की हत्या की गई। संख्या इससे बड़ी हो सकती है, क्योंकि डेटा जुटाना भी अब जोखिम भरा है।’
घर-घर जाकर युवाओं को जागरूक किया
महरंग कहती हैं, ‘हमने स्कूलों में जन-आंदोलन शुरू किया और घर-घर जाकर युवाओं को जागरूक किया। हमारे विरोध का सबसे प्रगतिशील पहलू यह है कि युवतियों से लेकर उनकी माताओं और मौसियों से लेकर दादी और परदादी तक हजारों महिलाएं इस आंदोलन में शामिल हुई हैं।’ उन्होंने बताया कि पिछले महीने बीवाईसी ने ग्वादर में बलूच लोगों के उत्पीड़न के बारे में बात करने के लिए बलूच लोगों की राष्ट्रीय सभा आयोजित करने की कोशिश की थी लेकिन सुरक्षा बलों ने कई लोगों को वापस लौटने पर मजबूर कर दिया।
ऐसा पहली बार हुआ
महरंग कहती हैं, ‘यह पहली बार था जब बलूच उत्पीड़न के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए दो लाख लोग एकजुट हुए थे।’