ब्लिट्ज ब्यूरो
खंडवा। पॉलिटिक्स को लेकर अक्सर कहा जाता है कि अगर आपका पढ़ने लिखने में दिल न लग रहा हो तो राजनीति में आ जाएं। इसमें आने के बाद राजनीति अलग-अलग तरह के अनुभवों से आपको तजुर्बेकार बनाती है लेकिन खंडवा में कुछ अलग ही नजारा देखने को मिला। खंडवा विधानसभा से विधायक कंचन तनवे राजनीति में आने के बाद शिक्षा के महत्व को समझ सकीं और सतत अपनी अधूरी शिक्षा को लेकर आज ग्रेजुएशन तक का सफर पूरा करने के मुकाम पर पहुंच गई हैं। विधायक कंचन तनवे बीएसडब्ल्यू तीसरे वर्ष का एग्जाम दे रही हैं। एक छात्र की मानिंद विधायक को एग्जाम सेंटर रवाना करने से पहले उनकी बेटी निकिता ने दही शक्कर खिलाकर उन्हें घर रवाना किया।
जन्मदिन पर सुबह उठकर की 2 घंटे पढ़ाई
उनके जन्मदिन को मनाने के लिए कार्यकर्ताओं ने उनके बैनर और पोस्टर से शहर भर दिया लेकिन अपने जन्मदिन की खुशियों के बीच विधायक कंचन तनवे ने सुबह उठकर 2 घंटे अपनी परीक्षा को लेकर तैयारी की। इसके बाद 7:00 बजे से ही कार्यकर्ताओं का तांता उनके घर पर बधाई देने के लिए लग गया। विधायक ने एक स्टूडेंट की तरह मंदिर जाकर पहले पूजा अर्चना की फिर कार्यकर्ताओं की बधाइयां स्वीकार कर घर से एग्जाम देने के लिए सुबह 9:30 बजे रवाना हो गईं। एग्जाम सेंटर रवाना करने से पहले बेटी ने दही और शक्क र खिलाकर अपनी मां को रवाना किया।
आठवीं कक्षा से लेकर ग्रेजुएशन तक का यूं किया सफर पूरा
विधायक कंचन तनवे का जन्म 14 जून 1982 को ग्राम धनोरा में हुआ था। पारिवारिक माहौल और गरीबी के कारण आठवीं से ज्यादा तक की पढ़ाई का सफर वह पूरा नहीं कर सकीं। 1997 में दसवीं कक्षा के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी, लेकिन जब 2002 में मुकेश तनवे के साथ उनका विवाह हुआ तब मुकेश राजनीति के युवा छात्र हुआ करते थे। मुकेश तनवे ने 2005 में 11वीं कक्षा में उनका नामांकन करवाया। किसी तरह से 12वीं की कक्षा भी 2009 में विधायक कंचन तनवे ने पास कर ली। तब तक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में भी उन्हें नौकरी मिल गई। इससे घर चलाना तो आसान हो गया लेकिन पढ़ाई एक बार फिर छूट गई। लगातार 8 साल नौकरी करने के दौरान पढ़ाई में एक बार फिर से लंबा गैप आ गया।
2023 में विधायक बनने के बाद फिर शुरू हुआ शिक्षा का सफर
तनवे के जीवन में सफलता तो आती गई लेकिन शिक्षा उनसे कोसों दूर जा रही थी। तनवे ने कहा कि ‘शिक्षा शेरनी का वो दूध है जो इसे पियेगा वही दहाड़ेगा’।