आलेख एन.के. सिंह अर्थशास्त्री, शिक्षाविद और नीति निर्माता
2025-26 का बजट कई मायनों में बदलाव लाने वाला है। यह निर्मला सीतारमण का आठवां बजट और प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला बड़ा बजट है। इसमें छह मुख्य बातें खासतौर पर ध्यान देने लायक हैं:
1. टैक्स ढांचे में बड़ा बदलाव
इस बार टैक्स स्लैब्स में ऐसा बदलाव किया गया है जिससे हर वर्ग के टैक्सपेयर्स को राहत मिलेगी। इससे लोगों के पास ज्यादा पैसा बचेगा, खर्च करने की ताकत बढ़ेगी और टैक्स भरने की प्रक्रिया भी आसान हो जाएगी। इसके चलते उपभोक्ता खर्च में वृद्धि होगी, जिससे अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार मिलेगी। अगले हफ्ते नया टैक्स कोड आने वाला है, जो और बड़े सुधार लाएगा।
2. फिस्कल डेफिसिट पर नियंत्रण
सरकार ने 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के टैक्स रेवेन्यू की कुर्बानी देने के बावजूद वित्तीय घाटे (फिस्कल डेफिसिट) को कंट्रोल में रखने की अपनी योजना जारी रखी है। 2024-25 में 4.8% फिस्कल डेफिसिट हासिल करने के बाद, 2025-26 का लक्ष्य 4.4% रखा गया है। साथ ही, कर्ज और जीडीपी के अनुपात (डेट-टू-जीडीपी-रेशियो) को 57.1% से घटाकर 56.1% करने की योजना है। यह सुधार सरकारी योजनाओं और सामाजिक क्षेत्र में निवेश से संभव होगा।
3. कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता
बजट में कृषि क्षेत्र के विकास पर खास ध्यान दिया गया है। सरकार का लक्ष्य है कि भारत दालों में आत्मनिर्भर बने और बदलती उपभोक्ता पसंद के हिसाब से फल, सब्जियां और मछली पालन को बढ़ावा दिया जाए। बेहतर बीज, कपास की पैदावार बढ़ाने का मिशन और असम में यूरिया प्लांट जैसे कदम किसानों की मदद करेंगे। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने में कॉरपोरेट क्षेत्र भी अहम भूमिका निभाएगा।
4. एमएसएमई का विकास
एमएसएमई सेक्टर को भी इस बजट में बड़ा समर्थन दिया गया है। छोटे उद्योगों को ज्यादा फंड मिलेगा, खासतौर पर जूते-चप्पल, खिलौने और खाद्य प्रसंस्करण जैसे श्रम-प्रधान उद्योगों को। महिलाओं, अनुसूचित जाति और जनजाति के उद्यमियों के लिए भी खास योजनाएं लाई गई हैं। इसके साथ ही, नवीकरणीय ऊर्जा (सौर और पवन ऊर्जा) और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की भी योजना है।
5. शिक्षा, रिसर्च और इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश
बजट में शिक्षा और रोजगार पर बड़ा जोर दिया गया है। अटल टिंकरिंग लैब्स का विस्तार किया जाएगा और स्किलिंग सेंटर स्थापित किए जाएंगे। मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या बढ़ाई जाएगी और आईआईटी में भी ज्यादा सीटें होंगी। ये कदम रोजगार के नए अवसर पैदा करेंगे। शहरी क्षेत्र के विकास और गिग वर्कर्स के लिए भी योजनाएं लाई गई हैं।
निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल अपनाया जाएगा। राज्यों को भी अतिरिक्त उधारी की छूट दी गई है, अगर वे बिजली सुधारों को लागू करेंगे। इसके अलावा, शिपबिल्डिंग, हवाई संपर्क और पर्यटन क्षेत्र में निवेश किया जाएगा ताकि रोजगार के नए अवसर पैदा हो सकें।
6. मौद्रिक-वित्तीय नीतियों का तालमेल
बजट में टैक्स सिस्टम को आसान और संतुलित बनाने की कोशिश की गई है। नए डायरेक्ट टैक्स कोड और इनडायरेक्ट टैक्स में सुधार से टैक्स भरने की प्रक्रिया सरल होगी और स्वैच्छिक टैक्स भरने वालों की संख्या बढ़ेगी। छोटे चैरिटेबल ट्रस्ट्स को भी मदद दी जाएगी ताकि वे विकास में योगदान दे सकें।
आर्थिक अनुमान और चुनौतियां
2025-26 के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.3% से 6.8% के बीच रखा गया है। हालांकि, “विकसित भारत” का सपना पूरा करने के लिए 8% की विकास दर जरूरी होगी।
बजट के सामने कुछ मुख्य चुनौतियां भी हैं:
1. भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं : जी7 और एशियाई देशों की नीतियां हमारी अर्थव्यवस्था पर असर डाल सकती हैं।
2. निजी निवेश आकर्षित करना : बीमा क्षेत्र में 100% विदेशी निवेश की अनुमति से उम्मीद है कि निजी निवेश बढ़ेगा।
3. मुद्रास्फीति पर नियंत्रण : इसे 4.3% से 4.4% के दायरे में बनाए रखना जरूरी होगा।
4. निवेश दर में सुधार : निवेश दर को 31% से बढ़ाकर 35% करना होगा।
5. चालू खाता घाटा (सीएडी) : इसे 1.2% से 2.2% के बीच रखने की जरूरत है।
6.टेक्नोलॉजी अपनाना : जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को सुलभ और सस्ता बनाने की दिशा में निवेश किया जाएगा।
निष्कर्ष
यह बजट छोटे-मोटे बदलावों से परे है। इसमें बड़े सुधारों का रोडमैप है, जो उम्मीदों को नया जीवन देता है और “मोदी मैजिक” की वापसी का संकेत देता है।