ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। वर्ष 1984 में भड़के सिख विरोधी दंगा मामले में राउज एवेन्यू अदालत ने जगदीश टाइटलर के खिलाफ हत्या, दंगा भड़काने, दो समुदायों के बीच द्वेष बढ़ाने समेत विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय करने के आदेश दिए। सीबीआई के विशेष जज राकेश सियाल की अदालत ने अपने आदेश में कहा कि टाइटलर के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सीबीआई की ओर से पर्याप्त साक्ष्य पेश किए गए हैं। इनके आधार पर टाइटलर पर प्रथमदृष्टया हत्या, दंगा भड़काने और अन्य आरोप साबित होते हैं। लिहाजा जगदीश टाइटलर के खिलाफ आरोप तय करने के आदेश दिए जाते हैं। कोर्ट ने 80 वर्षीय कांग्रेस नेता टाइटलर पर आरोप तय करने की औपचारिक घोषणा के लिए 13 सितंबर की तारीख तय की है।
गवाह ने हलफनामे के मार्फत इस बात की पुष्टि की
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि इस मामले में चश्मदीद गवाहों के बयान विश्वसनीय हैं। उनके बयान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। गवाह ने हलफनामे के मार्फत इस बात की पुष्टि की है कि उसने टाइटलर को घटना वाले दिन खुद देखा था, जब भीड़ को भड़काया जा रहा था। इसके अलावा एक वीडियो भी अहम है, जिसमें टाइटलर भीड़ को उकसाते हुए नजर आ रहे हैं। हालांकि, वीडियो काफी पुराना है। इसे जांच के लिए फॉरेंसिक लैब भेजा गया है, लेकिन इस वीडियो में उन्हें स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है। ये तमाम साक्ष्य आरोप तय करने के लिए पर्याप्त हैं।
– 13 सितंबर को होगी औपचारिक घोषणा
पुल बंगश में हत्या और भीड़ को उकसाने के आरोप
कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर पर आरोप है कि एक नवंबर 1984 को वह गुरुद्वारा पुल बंगश के सामने एक सफेद रंग की एंबेसडर कार से बाहर निकले। उन्होंने यह कहते हुए भीड़ को उकसाया कि सिखों को मार डालो। टाइटलर के भड़काने पर भीड़ ने गुरुद्वारा पुल बंगश को आग लगा दी। उस समय गुरुद्वारे में मौजूद तीन सिखों बादल सिंह, ठाकुर सिंह और गुरुचरण सिंह की जिंदा जलकर मौत हो गई थी।
ढाई हजार से ज्यादा मौत
आरोप है कि 31 अक्तूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के अगले दिन यह घटना घटित हुई थी। देशभर में भड़की हिंसा में रिकॉर्ड के मुताबिक, 2800 सिखों की हत्या की गई थी, जिनमें से सबसे अधिक 2100 सिखों की हत्या अकेले राजधानी दिल्ली में हुई। सड़कों, मोहल्लों और कॉलोनियों में लोग एक दूसरे के खिलाफ हिंसा पर उतारू हो गए थे।
मौके पर मौजूद होने से इनकार किया था
जगदीश टाइटलर ने अदालत में हर बार दलील दी कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पार्थिव शरीर को तीन दिन तक तीन मूर्ति भवन में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था। वह तीनों दिन तक तीन मूर्ति भवन में मौजूद थे। दूरदर्शन लगातार इसकी कवरेज कर रहा था। उनकी तीनों दिन की उपस्थिति देखी जा सकती है।