ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वे मौजूदा नियमों के अनुसार राज्य और जिला उपभोक्ता निवारण निकायों के अध्यक्षों एवं सदस्यों के वेतन और भत्ते का तुरंत भुगतान करें।
जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने केंद्र सरकार को भी उपभोक्ता संरक्षण (राज्य आयोग और जिला आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के वेतन, भत्ते एवं सेवा की शर्तें) मॉडल नियम, 2020 में संशोधन करने पर भी विचार करने का निर्देश दिया। पीठ उपभोक्ता मंचों के सदस्यों के वेतन और सेवा शर्तों से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। बहरहाल, पीठ ने कहा, ”हम सभी राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देते हैं कि इन मामलों में उठाए गए विभिन्न विवादों पर बिना किसी पूर्वाग्रह के मौजूदा राज्य नियमों के अनुसार वेतन और भत्ते अध्यक्षों/सदस्यों को तुरंत दिए जाएं।”
अगर निर्णय नहीं लिया तो अनुच्छेद 142 का करेंगे इस्तेमाल
कोर्ट ने कहा कि यदि भारत सरकार की ओर से संभावित संशोधन पर कोई निर्णय नहीं लिया जाता है तो वह ”संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत शक्ति का प्रयोग करने पर विचार करेगी।” गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पांच मार्च के आदेश में कहा था, ”यदि कुछ राज्य सरकारों द्वारा अनुपालन नहीं किया जाता है तो संबंधित पक्ष विद्वान न्यायमित्र को इस आशय का एक नोट सौंपने के लिए स्वतंत्र हैं ताकि कोर्ट उचित आदेश पारित कर सके।”