ललित दुबे
वाशिंगटन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सोमवार 23 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ द फ्यूचर’ में दिया गया 4 मिनट 30 सेकंड का भाषण वैसे तो किसी को भी सीधा-सपाट सा नजर आएगा पर वास्तव में ऐसा था नहीं। दुनिया के सबसे बड़े मंच से दुनिया के सबसे बड़े मुल्कों के लिए इसमें अनेक संदेश छिपे थे। कूटनीति की भाषा में बातें भी कोड में ही कही जाती हैं जिन्हें डिकोड भी करना पड़ता है।
गौर से देखा जाए तो पीएम मोदी के भाषण भी कोड में थे। अगर आप इसे गौर से सुनेंगे तो इसमें पाकिस्तान और चीन की कारस्तानी की पूरी कहानी थी, तो साथ ही वीटो पावर रखने वाले मठाधीश मुल्कों के लिए आईना भी था जो भारत के लिए सुरक्षा परिषद का दरवाजा बंद रखे हुए हैं। कैसे लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना की जाती है, पीएम मोदी ने भारत की जमीन पर जी20 शिखर सम्मेलन में अफ्रीकन यूनियन को स्थायी सदस्यता दिलाने का जिक्र कर यह बताया। इन सब बातों को एक-एक करके जानने और समझने की कोशिश करते हैं कि पीएम मोदी ने कैसे दुनिया के सबसे बड़े मंच पर विश्व को क्या संदेश देना चाहा है…
संदेश नंबर 1: भारत लोकतंत्र की सबसे बुलंद आवाज है, इसे सुने दुनिया
‘जून में अभी-अभी मानव इतिहास के सबसे बड़े चुनावों में भारत के लोगों ने मुझे लगातार तीसरी बार सेवा का अवसर दिया है। आज मैं इसी 1/6 मानवता की आवाज आप तक पहुंचाने यहां आया हूं।’
पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत इन्हीं लाइनों के साथ की। उन्होंने बताया कि दुनिया में भारत का कद क्या है और उसे क्यों गौर से सुना जाना चाहिए। मोदी ने ‘मानव इतिहास के सबसे बड़े चुनाव’ के जरिए दुनिया को भारतीय लोकतंत्र के विराट स्वरूप के दर्शन कराए। उन्होंने यह क्यों कहा कि इसका जवाब उनकी अगली लाइन में छिपा था जिसमें उन्होंने कहा कि भारत के वाशिंदों की बात को दुनिया को गौर से सुनना चाहिए।
संदेश नंबर 2- ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज
‘ह्यमून सेंट्रिक अप्रोच सर्वप्रथम होनी चाहिए। समावेशी विकास को प्राथमिकता देते हुए हमें मानव कल्याण, फूड, हेल्थ सिक्योरिटी भी सुनिश्चित करनी होगी। भारत में 250 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकालकर हमने दिखाया है कि समावेशी विकास सफल हो सकता है।
सफलता का यह अनुभव हम ग्लोबल साउथ के साथ साझा करने के लिए तैयार हैं।’ अमेरिका में पिछले कुछ घंटों के भीतर पीएम मोदी ने ‘ग्लोबल साउथ’ का जिक्र दूसरी बार किया। इससे पहले मोदी ने प्रवासी भारतीयों के सम्मेलन में भी ग्लोबल साउथ की आवाज बुलंद की थी। भारत अब निर्विवाद तौर पर विकास की दौड़ में कहीं पीछे छूटते जा रहे अफ्रीका, लैटिन अमेरिका जैसे ग्लोबल साउथ मुल्कों का अगुआ है। जनवरी 2023 में भारत में वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ समिट हो चुका है। मोदी ने संयुक्त राष्ट्र से एक बार फिर इन मुल्कों की आवाज उठाकर संदेश दिया कि भारत को उनकी फिक्र है। यही नहीं, उन्होंने भारत का उदाहरण देकर बताया कि कैसे वह इन मुल्कों को सफलता के अपने सफर के साथ जोड़ सकता है।
संदेश नंबर 3- हमें दें हमारा हक…
‘वैश्विक शांति और विकास के लिए ग्लोबल संस्थाओं में रिफॉर्म आवश्यक है। अफ्रीकन यूनियन को नई दिल्ली समिट में जी20 की स्थायी सदस्यता इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।’
संयुक्त राष्ट्र के मंच से कही गई पीएम मोदी की इस लाइन को आप थोड़ा फिल्मी लहजे में ‘साड्डा हक, इत्थे रख’ कह सकते हैं। भारत दुनिया का सबसे विशाल लोकतंत्र है। एक ऐसी अर्थव्यवस्था है, जो टॉप तीन में आने के लिए तैयार है। इन शब्दों के जरिए पीएम मोदी ने सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के बंद दरवाजों पर एक जोरदार धक्क ा मारा है। उन्होंने इशारों में बता दिया कि रिफॉर्म के बिना काम चलेगा नहीं। साथ ही अफ्रीकन यूनियन का उदाहरण देकर भी बता दिया कि हक कैसे दिया जाता है।
संदेश नंबर 4- चीन-पाक पर ग्लोबल एक्शन की बात
‘वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए एक तरफ आतंकवाद जैसा बड़ा खतरा है तो दूसरी तरफ साइबर, मैरीटाइम, स्पेस जैसे अनेक संघर्ष के नए-नए मैदान भी बन रहे हैं। इन सभी विषयों पर मैं जोर देकर कहूंगा कि ‘ग्लोबल एक्शन, मस्ट मैच ग्लोब एंबिशन’।
पीएम मोदी के भाषण के इस हिस्से में दुनिया के मुल्कों के लिए ताकीद है। नाम नहीं है, लेकिन जिक्र पाकिस्तान और चीन का है। एक आतंकवाद का सरपरस्त है तो दूसरा समंदर में दादागीरी करने वाला है। दुनिया में शांति के लिए बड़ा खतरा बताते हुए पीएम मोदी ने साफ-साफ कहा कि जुबानी खर्च से काम नहीं चलेगा, ग्लोबल एक्शन जरूरी है।