ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कुछ ऐसा कहा है जिससे फाइनेंशियल सेक्टर में नौकरी की चाहत रखने वाली हर बेटी खुश होगी। उन्होंने बैंकों से महिलाओं को अधिक संख्या में रोजगार मुहैया कराने की अपील की है। दास ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र महिलाओं को अधिक रोजगार के अवसर देकर और महिला-संचालित उद्यमों के लिए खास योजनाएं लाकर महिला-पुरुष असमानता को कम करने में मदद कर सकता है।
संयुक्त सम्मेलन में भाग लिया
दास ने यहां इंडियन बैंक एसोसिएशन और फिक्क ी के एक संयुक्त सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि विकसित भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि हर नागरिक की सामाजिक-आर्थिक स्थिति से इतर वित्तीय सेवाओं तक पहुंच हो और उसे जरूरी वित्तीय साक्षरता भी हासिल हो।
महिलाओं के नियंत्रण में एमएसएमई का पांचवां हिस्सा
उन्होंने कहा कि भारत में महिलाओं की श्रमबल में भागीदारी अंतरराष्ट्रीय औसत की तुलना में काफी कम है। इस फासले को कम करने के लिए लड़कियों की शिक्षा, कौशल विकास, कार्यस्थल पर सुरक्षा और सामाजिक बाधाएं दूर करने की दिशा में प्रयास करने होंगे। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि सूक्ष्म, लघु एवं मझोली इकाइयों (एमएसएमई) का पांचवां हिस्सा महिलाओं के नियंत्रण में होने के बावजूद महिला उद्यमियों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
असमानता को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी
दास ने कहा, ‘वित्तीय क्षेत्र को महिला-पुरुष असमानता को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। मददगार नीतियां लाकर, महिलाओं के लिए खास वित्तीय उत्पाद पेश कर और वित्तीय-प्रौद्योगिकी नवाचार के सहारे वित्तीय पहुंच को आसान बनाकर ऐसा किया जा सकता है।’
बैंक अधिक संख्या में ‘बैंक सखियों’ को अपने साथ जोड़ें
उन्होंने कहा कि इस काम को वित्तीय संस्थानों में अधिक महिलाओं को रोजगार देकर और महिला-संचालित उद्यमों के लिए खासतौर पर तैयार वित्तीय उत्पाद लाकर पूरा किया जा सकता है। उन्होंने बैंकों को अधिक संख्या में ‘बैंक सखियों’ को अपने साथ जोड़ने का सुझाव भी दिया।