ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए गाइडलाइन्स जारी करने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की इस दलील पर संज्ञान लिया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका पहले ही दायर की जा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने 29 नवंबर को कुंभ में भगदड़ की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
दरअसल, कुंभ में भगदड़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वकील विशाल तिवारी ने जनहित याचिका दाखिल की थी। इसमें देशभर में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश देने और नियमों का पालन कराने की मांग की गई थी।
मौनी अमावस्या पर 28/29 जनवरी की रात करीब डेढ़ बजे संगम नोज पर भगदड़ मच गई थी। भीड़ ने लोगों को कुचल दिया था। सरकार के मुताबिक, 30 लोगों की मौत हुई और 60 घायल हो गए थे।
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से ये मांग की थी
– श्रद्धालुओं की मदद के लिए महाकुंभ में विभिन्न भाषाओं में साइन बोर्ड लगाए जाएं।
– सभी राज्यों को अपने सुविधा केंद्र बनाना चाहिए, ताकि इमरजेंसी में राज्य अपने लोगों की मदद कर सकें।
– इमरजेंसी में मदद के लिए तैयार रहें, सुरक्षा प्रोटोकॉल के बारे में एसएमएस व वॉट्सऐप के जरिए जानकारी दी जानी चाहिए।
– वीआईपी मूवमेंट से आम श्रद्धालुओं की सुरक्षा प्रभावित न हो, उनके लिए कोई खतरा पैदा न हो।
– महाकुंभ में श्रद्धालुओं के आने और बाहर निकलने के लिए कई रास्ते बनाए जाने चाहिए।
– भगदड़ घटना की रिपोर्ट पेश की जाए। लापरवाही बरतने वाले व्यक्तियों, अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जाए।
– कार्यक्रम स्थल पर डॉक्टरों और नर्सों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य राज्यों के बीच समन्वय की आवश्यकता है।