ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। शीर्ष औषधि नियामक संस्था केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के औषधि नियंत्रकों को निर्देश दिया है कि ये अस्वीकृत की गई 35 ‘निश्चित खुराक संयोजन’ (एफडीसी) दवाओं के निर्माण, बिक्री और वितरण को रोकें जिनमें दर्द निवारक, पोषण संबंधी पूरक आहार और मधुमेह रोधी दवाएं शामिल हैं। एफडीसी दवाएं वे हैं जिनमें एक निश्चित अनुपात में दो या अधिक फार्मास्युटिकल घटकों (एपीआई) का संयोजन होता है।
सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के औषधि नियंत्रकों को ऐसी एफडीसी के लिए अपनी अनुमोदन प्रक्रिया की समीक्षा करने और औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 तथा नियमों के प्रावधानों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए भी नियामक ने यह निर्देश तब जारी किए जब उसने पाया कि कुछ एफडीसी दवाओं को सुरक्षा और प्रभावकारिता के पूर्व मूल्यांकन के बिना विनिर्माण, बिक्री और वितरण के लिए लाइसेंस दे दिया गया है, जिससे जन स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा हो रहा है।
पत्र में भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआइ) राजीव रघुवंशी ने जनवरी 2013 में उनके कार्यालय द्वारा जारी पत्र का हवाला दिया है, जिसमें डीसीजीआई से उचित अनुमोदन के बिना देश में ‘नई दवा’ की परिभाषा के अंतर्गत आने वाली एफडीसी दवाओं की बिक्री के लिए विनिर्माण लाइसेंस प्रदान करने के संबंध में चिंता व्यक्त की गई थी। समय समय पर यही चिंता जताई गई है और संबंधित राज्य लाइसेंसिंग अधिकारियों को कई पत्र जारी किए गए हैं, जिन्होंने गैर-अनुमोदित एफडीसी के विनिर्माण और विपणन की अनुमति दी है।
इस तरह का एक और पत्र इस वर्ष फरवरी में जारी किया गया था। पत्र में कहा गया है कि निदेशालय के संज्ञान में आया है कि औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 के अंतर्गत एनडीसीटी नियम 2019 के प्रावधान के अनुसार सुरक्षा और प्रभावकारिता के पूर्व मूल्यांकन के बिना ही कुछ एफडीसी दवाओं को विनिर्माण, बिक्री और वितरण के लिए लाइसेंस दे दिया गया है। इससे जन स्वास्थ्य और सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है।