ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सीमा पार से घुसकर कश्मीर के पहलगाम में नरसंहार को अंजाम देने वाली आतंकी घटना के बाद भारतीय वायुसेना (आईएएफ) अब आसमान में ऊंची उड़ान भरने वाले ड्रोन खरीदना चाहती है। ये ड्रोन जासूसी करने और जानकारी जुटाने के काम आएंगे। आईएएफ ऐसे तीन एयरक्राफ्ट खरीदने की योजना बना रही है। ये ड्रोन, जिन्हें हाई-एल्टीट्यूड प्लेटफॉर्म सिस्टम (एचएपीएस) एयरक्राफ्ट कहा जाता है, ये छद्म-उपग्रह की तरह काम करेंगे। मतलब, ये बिना इंसानों के ही आसमान में बहुत ऊंचाई पर उड़ेंगे और लम्बे समय तक जानकारी जुटाते रहेंगे।
एक अधिकारी ने बताया कि ये एचएपीएस एयरक्राफ्ट लगभग 20 किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ने में सक्षम होंगे। यह ऊंचाई सामान्य हवाई जहाजों के रास्तों से काफी ऊपर है। इनका इस्तेमाल लगातार निगरानी रखने, जानकारी जुटाने और दूसरे ड्रोन से डेटा लेने-देने के लिए किया जाएगा। ये ‘इलेक्ट्रॉनिक और कम्युनिकेशंस इंटेलिजेंस’ का काम भी करेंगे। आईएएफ ने इन तीन एचएपीएस एयरक्राफ्ट और उनसे जुड़े उपकरणों को खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पाकिस्तान के साथ तनाव और चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति सामान्य न होने के कारण, आईएएफ ने विक्रेताओं से 20 जून तक जानकारी देने के लिए कहा है। इसे रिक्वेस्ट फॉर इन्फॉर्मेशन (आएफआई) कहा गया है। एचएपीएस एयरक्राफ्ट, जो आमतौर पर सोलर एनर्जी से चलते हैं, सैटेलाइट्स की तुलना में सस्ते होते हैं। अधिकारी ने कहा कि एचएपीएस एयरक्राफ्ट अपने आप ही उड़ान भर सकते हैं और उतर सकते हैं। इन्हें सैटेलाइट्स की तरह लॉन्च करने के लिए रॉकेट की जरूरत नहीं होती। इन्हें अलग-अलग जगहों से तैनात किया जा सकता है और सैटेलाइट्स के मुकाबले इनकी मरम्मत और रखरखाव भी आसान है।
सेना लॉन्च-ऑन-डिमांड सैटेलाइट्स को भी खरीदने की योजना बना रही है लेकिन आईएएफ चाहती है कि एचएपीएस एयरक्राफ्ट कम से कम 48 घंटे तक उड़ान भर सकें। इनका डेटा लिंक और टेलीमेट्री रेंज कम से कम 150 किलोमीटर होनी चाहिए, वह भी लाइन ऑफ़ साइट में।
50 किलोमीटर की दूरी
तक चीज़ों का पता लगाए
वांछित सैटकॉम (सैटेलाइट कम्युनिकेशन) कम से कम 400 किलोमीटर होना चाहिए। ये एयरक्राफ्ट अपनी उड़ान की ऊंचाई से कम से कम 50 किलोमीटर की दूरी तक चीज़ों का पता लगा सकें।
इनमें इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल और इंफ्रारेड कैमरे, साथ ही इलेक्ट्रॉनिक और कम्युनिकेशन इंटेलिजेंस पेलोड भी होने चाहिए। ये रात में और कम रोशनी में भी काम करने में सक्षम होने चाहिए। आएफआई में कहा गया है कि अनुबंध की तारीख से 18 महीनों में पूरी डिलीवरी होने की उम्मीद है। आईएएफ तीन इंटेलिजेंस, सर्विलांस, टारगेटिंग एंड रिकॉनेंसैंस एयरक्राफ्ट भी खरीदना चाहती है। ये एयरक्राफ्ट सिंथेटिक एपर्चर रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल और इंफ्रारेड सेंसर के ज़रिए कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी देंगे। ये ऐसी जानकारी देंगे जिस पर तुरंत कार्रवाई की जा सके। भारत, अमेरिका के बीच डिफेंस टेक्नोलॉजी एंड ट्रेड इनिशिएटिव के तहत आईएसटीएआर प्लेटफॉर्म को सह-विकास और सह-उत्पादन के लिए चुना गया था।