ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सीटीईटी यानी केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा जब 8 फरवरी 2026 को होगी, तब पिछले कुछ सालों से अलग नजारा दिखाई देगा। वजह इस बार अभ्यर्थियों की संख्या पहले से कहीं ज्यादा होगी। फॉर्म की संख्या में लाखों की बढ़ोतरी होने वाली है। दरअसल टीचरों को नौकरी में बने रहने या प्रमोशन पाने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को अनिवार्य करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से देश भर के हजारों प्राइमरी शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक गई है।
यूपी, झारखंड, एमपी व राजस्थान समेत देश के विभिन्न राज्यों में ऐसे लाखों शिक्षक हैं जो बगैर टीईटी पास किए वर्षों से स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। अब इन टीचरों को 2 साल में टीईटी पास करना ही होगा वरना या तो इन्हें इस्तीफा देना होगा या फिर इन्हें जबरन रिटायर कर दिया जाएगा। इस कड़े फैसले से सिर्फ उन्हें छूट मिलेगी जिनकी नौकरी 5 साल की बची है लेकिन इन्हें भी अगर प्रमोशन चाहिए तो टीईटी पास करना ही पड़ेगा।
आवेदनों की संख्या में भारी इजाफा संभव
अब सीटीईटी और टीईटी आवेदनों की संख्या में भारी इजाफा होगा। जो टीचर पहले से सेवारत हैं, वे भी अपनी नौकरी बचाने को लेकर टीईटी क्वालिफाई होने के लिए फॉर्म भरेंगे।
टीईटी अनिवार्यता पर विरोध तेज
देशभर के लाखों स्कूल शिक्षकों ने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को अनिवार्य किए जाने के विरोध में आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा और उत्तराखंड-इन नौ राज्यों के शिक्षक संगठनों ने मिलकर टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) नाम से संयुक्त संगठन बनाया है। टीएफआई की नई समिति जल्द ही दिल्ली में एक बड़ी रैली की तिथि घोषित करेगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद टीईटी को अनिवार्य बनाया गया है, लेकिन शिक्षकों का कहना है कि पुराने भर्ती नियमों में टीईटी लागू करना अनुचित है।




























