ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने यूरोप समेत पूरी दुनिया को एक साफ और सीधा संदेश दिया है। जयशंकर ने 2025 में आर्कटिक सर्कल इंडिया फोरम में कहा, ‘भारत दुनिया में उपदेश देने वालों की बजाय सहयोगियों की तलाश में है, खासकर उन उपदेशकों की जो घर पर कुछ और बाहर कुछ और करते हैं।’
जयशंकर ने कहा कि मुझे लगता है कि आज के अमेरिका के साथ जुड़ने का सबसे अच्छा तरीका हितों की पारस्परिकता खोजना है, न कि वैचारिक मतभेदों को सामने रखना और फिर इसे साथ मिलकर काम करने की संभावनाओं को धुंधला होने देना।
डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत ऐसे देशों के साथ काम करना चाहता है जो आपसी सम्मान और समझ दिखाएं। उन्होंने यूरोप पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कुछ यूरोपीय देश अभी भी अपने मूल्यों और कार्यों के बीच अंतर से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘जब हम दुनिया को देखते हैं, तो हम भागीदारों की तलाश करते हैं, उपदेशकों की नहीं, खासकर ऐसे उपदेशक जो घर पर वह नहीं करते जो वे विदेश में उपदेश देते हैं। यूरोप अभी भी इस समस्या से जूझ रहा है।’ इसका मतलब है कि भारत उन देशों के साथ काम करना चाहता है जो ईमानदारी से व्यवहार करते हैं।
डॉ. जयशंकर ने आगे कहा, ‘अगर हमें एक साझेदारी विकसित करनी है, तो कुछ समझ, संवेदनशीलता, आपसी हित और इस बात का एहसास होना चाहिए कि दुनिया कैसे काम करती है।’ इसका मतलब है कि साझेदारी सफल होने के लिए दोनों पक्षों को एक एक दूसरे की जरूरतों और हितों को समझना होगा।
दुनिया में कहीं भी कुछ होता है
विदेश मंत्री ने 2025 में आर्कटिक सर्कल इंडिया फोरम में दुनिया के बदलते हालातों पर बात की। उन्होंने बताया कि भारत अब एक महत्वपूर्ण देश बन गया है। दुनिया में कहीं भी कुछ होता है, तो उसका असर भारत पर पड़ता है। उन्होंने अमेरिका, यूरोप और चीन की बदलती भूमिकाओं पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि दुनिया में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है और यह आसान नहीं होने वाला है। डॉ. जयशंकर ने यह भी कहा कि अमेरिका ने अपने रुख में काफी बदलाव किया है। चीन वही कर रहा है जो वह पहले से करता आ रहा है। उन्होंने कहा कि दुनिया में अब मुकाबला तेज होगा।