ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली।हाइपरलूप टेक्नोलॉजी एक हाई स्पीड ट्रांसपोर्ट सिस्टम है जो एक वैक्यूम-सील ट्यूब में पॉड्स को 1000 किमी प्रति घंटे से भी तेज स्पीड से ऑपरेट कर सकती है। 2013 में एलन मस्क ने पूरी दुनिया को सबसे पहले हाइपरलूप दिखाई थी। इसे चलाने के लिए कैप्सूल या पॉड्स का प्रयोग किया जाता है जिसमें यात्रियों को बिठाकर या कार्गो लोड कर इन कैप्सूल्स या पॉड्स को जमीन के ऊपर बड़े-बड़े पारदर्शी पाइपों में इलेक्टि्रकल चुंबक पर चलाया जाता है।
गति और दक्षता में एक बड़ी छलांग
हाइपरलूप के 600 किमी/घंटा की गति से चलने की उम्मीद व्यक्त की जा रही है जबकि घर्षण रहित वैक्यूम ट्यूब में इसकी गति 1200 किमी/घंटा तक पहुंचने की क्षमता है। भारत में परिचालन गति लगभग 600 किमी/घंटा ही रहेगी। इस तकनीक की शुरूआत भारत को अत्याधुनिक परिवहन प्रणालियों में अग्रणी बनाती है।
हाइपरलूप प्रौद्योगिकी को समझना
हाइपरलूप तकनीक एक वैक्यूम ट्यूब में चुंबकीय उत्तोलन का उपयोग करती है, जिससे वायु प्रतिरोध समाप्त हो जाता है और कैप्सूल अभूतपूर्व गति से यात्रा कर सकते हैं। इसे ट्रेनों, कारों, हवाई जहाजों और जहाजों के बाद परिवहन का पांचवां साधन माना जाता है।
हाइपरलूप के प्रमुख लाभ
– अत्यंत तीव्र यात्रा : यह प्रणाली हवाई जहाज की तुलना में दोगुनी गति तक पहुंच सकती है, जिससे यात्रा का समय काफी कम हो जाता है।
– मौसम प्रतिरोधी : चूंकि यह बंद ट्यूबों में संचालित होती है, इसलिए यह बाहरी मौसम की स्थिति से प्रतिरक्षित है।
– टक्क र-मुक्त : समर्पित ट्यूबों के साथ, यह प्रणाली सुरक्षित, दुर्घटना-मुक्त आवागमन प्रदान करती है।
– ऊर्जा-कुशल : इसमें कम बिजली की खपत होती है और यह 24 घंटे लगातार संचालन के लिए ऊर्जा संग्रहीत कर सकती है।
– पर्यावरण अनुकूल : नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके यह प्रणाली टिकाऊ विकल्प प्रदान कर सकती है।