ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबंई। शेफाली बग्गा आज किसी परिचय की मोहताज नहीं। इन्फ्लुएंसर, पत्रकार से लेकर बिग बॉस कन्टेस्टेंट और फिर क्रिकेट की दुनिया में एक पॉपुलर एंकर होने तक का सफर तय करने वाली शेफाली बग्गा नई पीढ़ी के लिए कई नए संदेश लेकर आई हैं। आइये करते हैं उनसे बात-
कैसा रहा अब तक का आपका सफर ?
जवाब में शेफाली बग्गा बोलीं, सफर काफी अच्छा रहा। मुश्किलें आईं लेकिन मेरा मानना है कि जैसा आप लोगों के साथ होते हो, वैसे ही लोग आपके साथ होते हैं। मैंने कभी किसी चीज को मना नहीं किया। जो मौके आए, उनमें अपना 100 फीसदी से भी ज्यादा देने की कोशिश की ताकि लोग मुझे याद रखें। मैं आज भी रोज यह सोचकर आती हूं कि मुझे कुछ नया सीखना है। जब मैच चल रहा होता है तो आप मुझे हमेशा कमेंट्री बॉक्स या ब्रॉडकास्ट रूम में ही पाएंगे और मैं कुछ न कुछ सीख रही होती हूं कि इस चीज को कैसे बोलते हैं या किन नए तरीकों से मैं दर्शकों का मनोरंजन कर सकती हूं। मैं कोशिश करती हूं कि जो ऑडियंस सुनना चाहती है, मैं वह सुनाऊं उन्हें।
लेजेंड्स से मजेदार लहजे में जवाब निकलवाना कितना मुश्किल होता है?
शेफाली: एंटरटेनमेंट का कीड़ा बचपन से ही है और मेरा हमेशा से मानना है कि सामने वाला आपके साथ एंजॉय तब ही करेगा जब वह आपके साथ कम्फर्टेबल हो। अगर मैं किसी शो को एकदम सामान्य तरीके से करूंगी, तो उसमें मजा नहीं आएगा। अब जैसे मान लीजिए कि दिल्ली प्रीमियर लीग चल रहा है, उसमें अगर मैं इस लहजे में बोलूं कि ‘आप पुरानी दिल्ली के परांठे खाएंगे या साउथ दिल्ली का बुर्राटा खाने वाले हैं’ तो इसमें थोड़ा दिल्ली फ्लेवर आ जाता है जो सुनने में अच्छा लगता है। तो इन सब चीजों के साथ मैं अपने काम को मजेदार बनाती हूं। इसके लिए मैं लोगों से टिप्स लेती रहती हूं, मसलन जिन कमेंटेटर्स, एक्सपर्ट्स, क्रिकेटर्स के साथ मैंने काम किया है, उनके साथ अलग से भी बैठकर मैं अपने काम को और अच्छा बनाने के लिए टिप्स लेती रहती हूं। यह चीजें मेरे बहुत काम आती हैं।
इंफ्लुएंसर अब सफल क्रिकेट एंकर
इंफ्लुएंसर थीं आप और फिर आपने एक सफल क्रिकेट एंकर तक की भूमिका तय की। क्या यह एक नई फील्ड है जिसके रास्ते आपने और इंफ्लुएंसर के लिए खोल दिए हैं?
शेफाली: अब एंकर्स के लिए यह भी देखा जाता है कि हम दर्शकों के साथ कितना जुड़ पाते हैं। मैंने बिग बॉस किया था तो उसकी वजह से मुझे थोड़ी पॉपुलैरिटी मिली। स्टेडियम में कई बार दर्शक मुझे पहचानते हैं और दूर से मेरा नाम लेकर चिल्लाते हैं, तो मुझे इससे ‘किक’ मिलती है। सोशल मीडिया वाली पॉपुलैरिटी से मुझे फायदा तो मिलता है क्योंकि आज की तारीख में सबके हाथ में मोबाइल है। तो मैं मानती हूं कि इंफ्लुएंसर्स के लिए भी क्रिकेट अब एक नई फील्ड बन गई है।