ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने मध्य प्रदेश के श्योपुर ट्रायल साइट से ‘स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप प्लेटफॉर्म’ का पहला सफल फ्लाइट ट्रायल किया। यह एयरशिप डीआरडीओ की आगरा स्थित एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट द्वारा विकसित किया गया है।
एयरशिप को 17 किलोमीटर की ऊंचाई पर उपकरणीय पेलोड के साथ लॉन्च किया गया। इसने 62 मिनट तक उड़ान भरी। इसके बाद टीम ने सिस्टम को सफलतापूर्वक रिकवर कर लिया। यह लंबे समय तक एक ही स्थान पर स्थिर रह सकता है और लगातार रियल टाइम डाटा भेज सकता है।
इस सफलता के साथ भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल हो गया है जिनके पास यह स्वदेशी तकनीक मौजूद है।
रक्षा मंत्रालय ने इस उपलब्धि की जानकारी देते हुए बताया कि श्योपुर में इस स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप प्लेटफॉर्म का पहला ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। उड़ान के दौरान एयरशिप के अंदर दबाव को नियंत्रित करने वाली प्रणाली (एन्क्लोज़र प्रेशर कंट्रोल) और किसी आपात स्थिति में हवा निकालने के सिस्टम (आपातकालीन डिफ्लेशन सिस्टम) की भी जांच की गई। परीक्षण पूरा होने के बाद सिस्टम को सुरक्षित रूप से वापस लाया गया।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने इस प्रणाली के डिजाइन, विकास और परीक्षण में शामिल डीआरडीओ टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह प्रोटोटाइप उड़ान, हवा से हल्के उच्च ऊंचाई वाले प्लेटफॉर्म सिस्टम को साकार करने की राह में एक मील का पत्थर है, जो स्ट्रेटोस्फेरिक ऊंचाइयों पर काफी लंबे वक्त तक हवा में रह सकता है।
कम ही देशों के पास है यह तकनीक
डीआरडीओ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखा कि यह हवा से हल्का (लाइटर दैन एयर) सिस्टम भारत की पृथ्वी का अवलोकन करने, खुफिया जानकारी जुटाने, निगरानी करने और टोही क्षमताओं को बहुत बढ़ा देगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ को इस शानदार उपलब्धि के लिए बधाई दी है। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली भारत की क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से मजबूत करेगी और देश को रक्षा क्षेत्र में तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे ले जाएगी।